ध्यान सूत्र / Dhyan Sutra

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ध्यान सूत्र पुस्तक का कुछ अंश : और आप हैरान होंगे, आपकी श्वास बढ़ने लगेगी। और आपकी इमेजिनेशन, आपकी कल्पना जितनी प्रगाढ़ होती जाएगी, आप पंद्रह मिनट में पाएंगे कि जो घूमने का फायदा था, वह मिल गया है। आप पंद्रह मिनट बाद बिल्कुल ताजे, व्यायाम करके उठ आएंगे। जरूरी नहीं है कि आप व्यायाम करने जाएं। शरीर के अणुओं को पता चलना चाहिए कि व्यायाम हो रहा है, तो वे तैयार हो जाते हैं। यानि वे उसी स्थिति में आ जाते हैं, जिस स्थिति में वस्तुतः आप चले होते तब आते। वे उसी स्थिति में आ जाते हैं। क्या आपने कभी ख्याल नहीं किया, स्वप्न में घबड़ा गए हों, तो उठने के बाद भी हृदय कंपता रहता है………
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | ध्यान सूत्र / Dhyan Sutra |
| Author | Osho Hindi PDF Books |
| Category | Spiritual PDF Book in Hindi Social PDF Books In Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 128 |
| Quality | Good |
| Size | 1.4 MB |
| Download Status | Available |
“मैं हिंसा पर आपत्ति उठाता हूं क्योंकि जब लगता है कि इसमें कोई भलाई है, तो ऐसी भलाई अस्थाई होती है; लेकिन इससे जो हानि होती है वह स्थायी होती है।” मोहनदास करमचंद गांधी (1869-1948)
“I object to violence because when it appears to do good, the good is only temporary; the evil it does is permanent.” Mohandas Karamchand Gandhi (1869-1948)
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