अमर -कथा (तोते वाली) | Amar - Katha (Tote Vali)
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अमर -कथा (तोते वाली) पुस्तक का कुछ अंश : उरठीं गौरजा कह शिव मैंने कुछ नहीं सुन पाया फ़िर शिवजी ने कहा डुंकारा किसने मुझको सुनाया और तीसरा यहाँ. पर कौन विधि करको आया चढ़ा क्रोध शिव शंकर को कर से त्रिशुल को उठाया उसी वक्त फिर वह तोते का बच्चा उठकोे धाया दौड़े शिव उसके पीछे वह निकल गया कर सुम्तमती उत्तराखण्ड में लगा आसन बैठे हैं. कैनाशपति तीन लोक में उड़ा वह तोता कहीं मिला नहीं ठिकाना उड़ते-उड़ते बहुत सा अपने मन में घबड़ाना पतिव्रता थी खड़ी करे स्नान उसी को पहिचाना दौड़ के तोता जाय फिर उसके मुख में……..
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | अमर -कथा (तोते वाली) | Amar - Katha (Tote Vali) |
| Author | Unknown |
| Category | हिन्दू / Hinduism Hindi Books Religious Books in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 84 |
| Quality | Good |
| Size | 40 MB |
| Download Status | Available |
“हमारे जीवन का उस दिन अंत होना शुरू हो जाता है जिस दिन हम उन विषयों के बारे में चुप रहना शुरू कर देते हैं जो मायने रखते हैं।” मार्टिन लुथर किंग, जूनियर
“Our lives begin to end the day we become silent about things that matter.” Martin Luther King Jr.
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