अहोई अष्टमी व्रत कथा (एक सच्ची कहानी) : हिंदी ऑडियोबुक | Ahoi Ashtami Vrat Katha (Ek Sachchi Kahani) : Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | अहोई अष्टमी व्रत कथा (एक सच्ची कहानी) / Ahoi Ashtami Vrat Katha (Ek Sachchi Kahani) |
Author | Unknown |
Category | अहोई अष्टमी / Ahoi Ashtami, व्रत / उपवास / Fast - Vrat, Audiobooks |
Duration | 6:11 Mins |
Source | Youtube |
Ahoi Ashtami Vrat Katha (Ek Sachchi Kahani) Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : प्राचीन काल में एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएँ थीं। साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली के अवसर पर ससुराल से मायके आई थी I दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएँ मिट्टी लाने गईं तो ननद भी उनके साथ जंगल की ओर चल पड़ी। साहूकार की बेटी जहाँ से मिट्टी ले रही थी उसी स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। खोदते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी ने खुरपी से स्याहू का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।
यह सुनकर साहूकार की सबसे छोटी बहू ने स्याहु से विनती की वह उसके ननद के बदले उसकी कोख बांध दे। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे थे वह सभी सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी। सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहूकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वह साँप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहाँ आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है। इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुँचा देती है।
स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहुएँ होने का अशीर्वाद देती है। स्याहू के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र की वधुओं से हरा भरा हो जाता है। अहोई अष्टमी का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है “अनहोनी को होनी बनाना” जैसे साहूकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था।
“शुरू में वह कीजिए जो आवश्यक है, फिर वह जो संभव है और अचानक आप पाएंगे कि आप तो वह कर रहे हैं जो असंभव की श्रेणी में आता है।” – असीसी के संत फ़्रांसिस (११८२-१२२६), इतालवी साधु
“Start by doing what’s necessary; then do what’s possible; and suddenly you are doing the impossible.” -St. Francis of Assisi (1182-1226), Italian Saint
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें