ऋग्वेद भाग – १ : हिंदी ऑडियोबुक | Rigved Part -1 : Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | ऋग्वेद भाग - १ / Rigved Part -1 |
Author | Unknown |
Category | वेद / Ved, Audiobooks |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 9:59:19 hrs |
Source | Youtube |
ऋग्वेद का विभाजन दस मंडलों में किया गया है. प्रत्येक मंडल में बहुत से सूक्त एवं प्रत्येक सूक्त में अनेक ऋचाएं हैं, वैसे प्रत्येक मंडल कुछ अनुवाकों में विभक्त है. अनुवाक सूक्तों में बांटे गए हैं. संपूर्ण ऋग्वेद को चौसठ अध्यायों में विभक्त करके उनके आठ अष्टक बनाए गए हैं. प्रत्येक अष्टक में आठ अध्याय हैं. सायण ने ये सब विभाजन दिए हैं. उनके भाष्य में अष्टकों एवं अध्यायों को ही प्रमुखता दी गई है. एक तो यह विभाजन कृत्रिम है, दूसरे इससे व्यर्थ का भ्रम होता है, इसलिए मैंने इनका उल्लेख नहीं किया है. संहिता अथवा भाष्य में प्रत्येक मंत्र के ऋषि, देवता, छंद और विनियोग का उल्लेख है. ऋषि का तात्पर्य उस मंत्र के निर्माता या द्रष्टा ऋषि से है. देवता का अर्थ है–विषय. यह देवता शब्द के वर्तमान प्रचलित अर्थ से सर्वथा भिन्न है. ऋग्वेद के देवता सपत्नी (सौत), दूयूत (जुआ), दरिद्रता, विनाश आदि भी हैं. छंद से तात्पर्य उससांचे या नाप से है जिस में वह मंत्र निर्मित है. विनियोग का तात्पर्य है–प्रयोग. जो मंत्र समयसमय पर जिस काम में आता रहा, वही उस का विनियोग रहा. वैदिक मंत्रों का अर्थ समझने में देवता (विषय) ही आवश्यक है. इसलिए मैंने केवल देवता का ही उल्लेख किया है |
कुछ लोगों का ऋग्वेद में व्यभिचारिणी स्त्री, गर्भपात, प्रेमी और प्रेयसी, कामी पुरुष, कामुकी नारी, कन्या के पिता या भाई द्वारा उत्तम वर पाने हेतु दहेज देना, अयोग्य वर का उत्तम वधू पाने हेतु मूल्य चुकाना, चोर, जुआरी, विश्वासघातक मित्र आदि का उल्लेख अनुचित लग सकता है. इन शब्दों के वे दूसरे अर्थ करेंगे एवं तत्कालीन समाज में इन बातों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. मैं वास्तविकता बताने के लिए उनसे क्षमा चाहूंगा, मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक बुद्धिप्रधान एवं विचारशील विकसित समाज में ये बातें होनी स्वाभाविक हैं |
दिनभर जंगल में चरकर घरों को लौटती गाय, रस्सी से बंधे बछड़े का रंभाना, गाय का द्वूध दुहना, छाछ बिलोना, कच्चे मांस पर मक्खियों का बैठना, चिड़ियों का चहचहाना आदि पढ़कर ऐसा लगता है कि भारत के गांवों में आज भी वैदिक जीवन की झलक मिल जाती है. नागरिकता का विस्तार एवं विज्ञान की पहुंच उसे विकृत कर रही है. आर्य मुख्यतया कृषि जीवी एवं ग्रामों में रहने वाले लोग ही थे. बाद में उन्होंने नगर भी बसाए, पर ऋग्वेद में अधिकांश नगर शत्रु नगरों के रूप में वताए गए हैं |
“समस्त संसार के लिए हो सकता है कि आप केवल एक इंसान हों लेकिन संभव है कि किसी एक इंसान के लिए आप समस्त संसार हों।” जोसेफीन बिलिंग्स
“To the world you may be just one person but to one person you may be the world.” Josephine Billings
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें