बापू के पत्र मीरा के नाम / Bapu Ke Patra Meera Ke Naam

पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | बापू के पत्र मीरा के नाम / Bapu Ke Patra Meera Ke Naam |
Author | Unknown |
Category | इतिहास / History, Historical, Social |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 393 |
Quality | Good |
Size | 20 MB |
Download Status | Available |
बापू के पत्र मीरा के नाम पुस्तक का कुछ अंश : सूत के कुछ नमूने भेजे और यह पूछा कि क्या मैं आशा रख सकती हूँ कि मुझे आश्रम में ले लिया जायेगा ? पहले पोस्टकार्ड के बाद का पत्र बापू का उत्तर है। उस समय से मेरे आनन्द का कोई पार नहीं रहा और मै आध्यात्मिक आनन्द में लीन रहने लगी। यह आशा की जा सकती थी कि मेरे माता -पिता मुझे स्वदेश न छोड़ने के लिए समझाने की कोशिश करेंगे। ख़ास तौर पर इसलिए की मेरे पिताजी जलसेना के एक सेनापति और……….
“सब कुछ स्पष्ट होने पर ही निर्णय लेने का आग्रह जो पालता है, वह कभी निर्णय नहीं ले पाता।” हेनरी फ़्रेडरिक आम्येल (१८२१-१८८१), स्विस कवि एवं दार्शनिक
“The man who insists on seeing with perfect clarity before he decides, never decides.” Henri Frederic Amiel (1821-1881), Swiss poet and philosopher
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