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कहते हैं जिसको प्यार : कृष्णा बलदेव वैद | Kahate Hain Jisko Pyar : By Krishna Baldev Vaid Hindi Book

कहते हैं जिसको प्यार : कृष्णा बलदेव वैद | Kahate Hain Jisko Pyar : By Krishna Baldev Vaid Hindi Book
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कहते हैं जिसको प्यार पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : कृष्ण बलदेव वैद के कथा साहित्य से जिन पाठकों का परिचय है वे जानते हैं कि उन्हें मनुष्य जीवन के नाटकीय सन्दर्भों की गहरी पहचान है। यहाँ भी वेद जीवनगत घटनाओं को सायास नाटकीय बनाने की बजाय जीवन में निहित नाटक को पकड़ते हैं। यहाँ तक कि सामान्य लगते रंग-संकेतों को भी नाटकीय प्रसंग के रूप में विन्यस्त करने का सामर्थ्य उन्होंने प्रदर्शित किया है।
वैद बखूबी समझते हैं कि नाटक की सम्पूर्णता उसके मंचन में है। इस नाटक को पढ़ते ही पाठक को नाटक अपने सामने घटित होते दिखता है। हालांकि इसकी विषय-वस्तु जटिल है लेकिन सरल सहज प्रस्तुति के कारण ऐसा मुमकिन हुआ है।
गीता, अखिल, सुजाता-जैसे चिरपरिचित परित्रों के माध्यम से लेखक ने स्त्री-पुरुष सम्बन्धों का ऐसा रचनात्मक विमर्श इस रचना में संभव किया कि ये थोड़े से पात्र, अपने मित कथनों में ही बड़े मानवीय मूल्यों को पुनर्परिभाषित कर देते हैं अपनी बात रखने का दार्शनिक तहापात्रों के परिप्र रचने के साथ ही अर्थ के धरातल पर जिस बर्बन आइरनी का निर्माण करता है; वह अद्भुत है।

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name कहते हैं जिसको प्यार | Kahate Hain Jisko Pyar
Author
Categoryनाटक / Drama Hindi Books
Language
Pages 88
Quality Good
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“कठिनाईयों का अर्थ आगे बढ़ना है, न कि हतोत्साहित होना। मानवीय भावना का अर्थ द्वन्द्व से और अधिक मजबूत होना होता है।” ‐ विलियम एल्लेरी चैन्निंग
“Difficulties are meant to rouse, not discourage. The human spirit is to grow strong by conflict.” ‐ William Ellery Channing

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