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पंख हीन : गोविन्द उपाध्याय | Pankh Heen : By Govind Upadhayay Hindi Book

पंख हीन : गोविन्द उपाध्याय | Pankh Heen : By Govind Upadhayay Hindi Book
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पंख हीन पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : ट्रेन में बैठने के साथ ही एक बार फिर माँ का चेहरा उसकी आंखों में धरथराने लगा और आँखों के छोर स्वयं ही गीले हो गए। इस बार उसे माँ नहीं मिलेगी… मौ उसे अब कभी नहीं मिलेगी।
यह सच है कि वह यह कभी नहीं जान सका कि यों के हृदय में क्या है कभी माँ मोम-सी, जरा सी बात में पिघल जाती, तो कभी वह इतनी कठोर हो जाती… बिलकुल किसी निर्दयी तानाशाह की तरह…
नौ-दस वर्ष की अल्पायु में ही उसे मां से अलग बाबूजी के पास शहर में रहना पड़ा था। बाबूजी के चेहरे पर हंसी तो कभी आती ही नहीं थी। बहुत गुस्सैल जरा-जरा-सी बात पर चिंपाने वाले…
माँ को छोड़कर जब भी वह शहर आता, उसकी आँखें डबडबाई होती थीं। एक ऐसे पक्षी की तरह, जो डाल-डाल फुदकना चाहता हो, पर उसे पिंजड़े में डाल दिया गया हो… शायद ऐसा ही कुछ उसे तब माँ को छोड़ते हुए लगता था। वह चाहकर भी बाबूजी से कभी यह न कह सका-“मैं माँ के पास रहूँगा।”
वह मातृत्वविहीन जैसा हो गया था तीन-चार महीने में एक बार बाबूजी उसे पर लेकर आते आरम्भ के दिनों में वह माँ की निकटता के लिए व्याकुल रहता। छोटे भाई-बहनों का साथ भी कम उल्लासपूर्ण न होता, पर धीरे-धीरे यह मों से खिंचने लगा।

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name पंख हीन | Pankh Heen
Author
Categoryकहानी संग्रह / Story Collections Fiction Book in Hindi PDF Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi
Language
Pages 142
Quality Good
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“ऐसे सभी व्यक्ति जिन्होंने महान उपलब्धियां हासिल की हैं, वह महान स्वप्नदृष्टा भी होते हैं।” ओरिसन स्वैट मार्डेन
“All men who have achieved great things have been great dreamers.” Orison Swett Marden

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