गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ / Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan
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गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ पुस्तक का कुछ अंश : एक दिन उसने मुझे कहा कि चलो हमारे पौधे के पास। तुम्हारे मोती पौधे को तो पढ़ाना ही नहीं आता। मैं भी पहले वहाँ पढ़ने बैठा था, परंतु जब उसने कुछ पढ़ाया नहीं तो मैं उसे छोड़ ‘टक्साल’ वाले पौधे से पढ़ने जाने लगा हूँ। मुझे उसकी बात पसंद आई और मैं बिना पिताजी तथा माँ को बताए उसके साथ उसके पौधे के पास जा पहुँचा। पौधे के सम्मुख मुझे प्रस्तुत किया गया तो पौधे ने कह दिया, ““सवा रुपया लाओ।’! मैंने पौधे को बता दिया कि मैं पिताजी को बताए बिना ही आया हूँ और मेरे पास रुपए नहीं हैं। उसने कहा, “अच्छा, कुछ दिन आओ और फिर घर से माँग लाना।”! मैं उस पौधे के पास जाने लगा। मुझे जमा-बाकी तथा पहाड़े सिखाए जाने लगे। अभी मुझे वहाँ जाते कुछ ही दिन…………
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | गुरुदत्त की लोकप्रिय कहानियाँ / Gurudutt Ki Lokpriya Kahaniyan |
| Author | Gurudutt |
| Category | Kahani Kahaniyan Book in Hindi PDF Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Literature Book in Hindi Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 127 |
| Quality | Good |
| Size | 1.3 MB |
| Download Status | Available |
“श्रेष्ठ व्यक्ति बोलने में संयमी होता है लेकिन अपने कार्यों में अग्रणी होता है।” कंफ्यूशियस
“The superior man is modest in his speech, but exceeds in his actions.” Confucius
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