कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ व्रत को चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथ से भोजन ग्रहण करके खोला जाता है।
करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है जो महिलाओं द्वारा अपने पति के जीवन और शांति के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन, महिलाएं अपने पति के नाम पर व्रत रखती हैं और उनके जीवन की रक्षा करने के लिए विभिन्न पूजन और व्रत के अवधारण रखती हैं। करवा चौथ व्रत के नियम अलग-अलग जगहों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इस साल करवा चौथ व्रत 20 अक्टूबर (दिन रविवार) को है। अगर आप भी इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं तो जान लें पूजन साम्रगी, पूजा विधि और सोलह श्रंगार-
करवा चौथ पूजन के लिए सामग्री-
छलनी, मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन (मिट्टी या पीतल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है), रूई की बत्ती, धूप या अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाईयां, कांस की तीलियां, करवा चौथ कैलेंडर, रोली, अक्षत (साबुत चावल), गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी के 5 डेले, आटे का दीया, दीपक, सिंदूर, चंदन, कुमकुम, शहद, चीनी, लकड़ी का आसन, जल, गंगाजल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा।
करवा चौथ पूजन शुभ मुहूर्त 2024-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, काशी में या आसपास में चंद्रोदय समय रात में 7:54 बजे होगा। इसके बाद नंगी आंखों से चंद्रमा दिखाई पड़ने पर अर्घ्य देकर परम्परागत तरीके से इस व्रत पर्व को मनाया जाता है। पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:46 बजे से 7:02 बजे तक है।
चंद्रोदय : रात 7:54 बजे
पूजन का शुभ मुहूर्त: शाम 5:46 बजे से 7:02 बजे तक
करवा चौथ पूजन / व्रत के लिए 16 श्रृंगार-
लाल रंग की साड़ी या लहंगा (या जो भी आप अपनी सामर्थ्य / सुविधानुसार पहनना चाहें), सिंदूर, मंगलसूत्र, बिंदी, नथनी, काजल, गजरा, मेहंदी, अंगूठी, चूड़ियां, ईयररिंग्स (कर्णफूल), मांग टीका, कमरबंद, बाजूबंद, बिछिया और पायल।












