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संपूर्ण रंग नाटक : गोविन्द चातक | Sampurna Rang Natak : By Govind Chatak Hindi Book

संपूर्ण रंग नाटक : गोविन्द चातक | Sampurna Rang Natak : By Govind Chatak Hindi Book
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पुस्तक के कुछ अंश

गोविन्द चातक के संपूर्ण नाटकों का यह संकलन विषयवस्तु की विविधता का ही नहीं, नाटकीय शिल्प और संरचना के प्रति उनकी जागरूकता का भी परिचायक है। लगभग बीस बरसों की लम्बी नाट्य यात्रा में लिखे उनके ये पाँच नाटक उनके पाँच प्रयोगों के विभिन्न पड़ाव है। उन्होंने एक ओर सामाजिक सरोकारों को लेकर अपने नाटकों की रचना की, दूसरी ओर समानतः व्यक्ति के मानसिक इंद्रों और मानवीय संबंधों की विसंगति को भी अपनी सर्जना का मुख्य उपादान बनाया। उनमें व्यक्ति की इयत्ता के लिए संघर्ष करती चेतना और समाज की भूमिका को एक साथ देखा जा सकता है। लोकगीतों के संग्राहक के रूप में गोविन्द चातक जो संवेदना अर्जित करते रहे हैं; वह उनके नाटकों में मूल स्वर बनकर उभरी है। जीवनी नाटक के क्षेत्र में भी वोल्स्तोय के जीवन पर नाटक लिखकर उन्होंने एक नयी जमीन तैय्यार की है। शिल्प की दिशा में भी उन्होंने इन नाटकों में जो प्रयोग किए हैं; वे कम सराहनीय नहीं हैं।

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name संपूर्ण रंग नाटक | Sampurna Rang Natak
Author
Categoryनाटक / Drama Hindi Books
Language
Pages 328
Quality Good
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““कठिनाईयों का अर्थ आगे बढ़ना है, न कि हतोत्साहित होना। मानवीय भावना का अर्थ द्वन्द्व से और अधिक मजबूत होना होता है।” ‐ विलियम एल्लेरी चैन्निंग
“Difficulties are meant to rouse, not discourage. The human spirit is to grow strong by conflict.” ‐ William Ellery Channing

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