Devi Atharvashirsha PDF Book In Hindi | देवी अथर्वशीर्ष पीडीएफ पुस्तक हिंदी में
Devi Atharvashirsha PDF Book In Hindi Description
देवी अथर्वशीर्ष का संछिप्त विवरण : सभी देवता एकत्र होकर देवी की स्तुति करने लगे और उन्होंने पूछा “हे महादेवी! आप कौन हैं?” तब देवी ने उत्तर दिया “मैं ब्रह्म की स्वरूपिणी हूँ। समस्त सृष्टि, जिसमें प्रकृति और पुरुष दोनों हैं, मुझसे ही उत्पन्न हुए हैं। मैं शून्यता भी हूँ और अशून्यता भी। मैं आनंद और अनानंद दोनों हूँ। मैं ज्ञान और अज्ञान दोनों में व्याप्त हूँ। जानने योग्य ब्रह्म और अब्रह्म दोनों मैं ही हूँ। मैं पंचमहाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) और उन सबसे परे भी हूँ। यह सम्पूर्ण सृष्टि वास्तव में मैं ही हूँ। मैं वेद भी हूँ और अवेद भी। मैं विद्या भी हूँ और अविद्या भी। मैं जन्मी हुई भी हूँ और अजन्मा भी। मैं ऊपर, नीचे और चारों दिशाओं में व्याप्त हूँ। मैं रुद्रों, वसुओं, आदित्यों और विश्वदेवताओं के साथ विद्यमान हूँ। मैं मित्र और वरुण दोनों को धारण करती हूँ। मैं इन्द्र और अग्नि, अश्विनी कुमारों दोनों को भी धारण करती हूँ। मैं सोम, त्वष्टा, पूषा और भग को भी धारण करती हूँ। मैं विष्णु, ब्रह्मा और प्रजापति को भी धारण करती हूँ। मैं यजमान को धन देती हूँ जो श्रद्धा से हवन करता है। मैं राष्ट्र की संगठक शक्ति हूँ, ज्ञानवती हूँ और यज्ञ में प्रथम आह्वान की अधिकारी हूँ। मैं वसुओं की उत्पत्ति करने वाली हूँ। मैं अपने पिता को जन्म देती हूँ और मेरा मूल अप्सु (जल) में, समुद्र में स्थित है। जो व्यक्ति इस रहस्य को जान लेता है, वह देवताओं के समान वैभव और संपन्नता को प्राप्त करता है।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | Devi Atharvashirsha PDF Book In Hindi | देवी अथर्वशीर्ष पीडीएफ पुस्तक हिंदी में |
| Category | Spiritual PDF Book in Hindi Religious Books in Hindi PDF |
| Language | संस्कृत / Sanskrit |
| Pages | 10 |
| Quality | Good |
| Size | 324 KB |
| Download Status | Available |
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“The secret of being miserable is to have leisure to bother about whether you are happy or not. The cure for it is occupation.” George Bernard Shaw
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