प्रथम और अंतिम मुक्ति : जे. कृष्णमूर्ति द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | The First and Last Freedom : by J. Krishnamurthy Hindi Audiobook
The First and Last Freedom Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : कृष्णमूर्ति हमारी सदी के एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु हैं। द फर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम में उन्होंने शुद्ध सत्य और पूर्ण स्वतंत्रता की खोज में प्रतीकों और झूठे संघों को काट दिया। पीड़ा, भय, गपशप, सेक्स और अन्य विषयों पर चर्चा के माध्यम से, कृष्णमूर्ति की खोज पाठक बन जाती है, जो अत्यधिक महत्व का उपक्रम है। हम भले ही एक-दूसरे को भली-भांति जानते हों, फिर भी आपस में संवाद हो पाना बड़ा कठिन होता है। हो सकता है मैं कुछ शब्दों का प्रयोग करूं जिनका आपके लिए जो अर्थ है, वह मेरे अर्थ से भिन्न हो। जब हम, आप और मैं एक ही समय में एक ही स्तर पर मिलते हैं, तभी समझना हो पाता है। ऐसा तभी होता है जब व्यक्तियों में, पति और पत्नी में, अंतरंग मित्रों में, वास्तविक स्नेह हो। वही वास्तविक संवाद है। तत्काल बोध तभी संभव है जब हम एक ही समय में एक ही स्तर पर मिलते हैं। एक-दूसरे के साथ सरलता से, सार्थक तथा सुनिश्चित कर्म के साथ अंतरंग संवाद कर पाना बड़ा कठिन है। मैं उन शब्दों का प्रयोग कर रहा हूं जो सरल हैं–जो शास्त्रीय नहीं है, क्योंकि मेरे विचार से कोई भी शास्त्रीय शब्दावली हमारी कठिन समस्याओं के समाधान में सहायक नहीं हो सकती; इसलिए चाहे वे मनोविज्ञान के शब्द हों या विज्ञान के, मुझे शास्त्रीय शब्दों का प्रयोग नहीं करना है। सौभाग्य से मैंने न तो मनोविज्ञान पढ़ा है और न किन्हीं धार्मिक पुस्तकों को। बड़े सरल शब्दों के द्वारा, जिन्हें हम अपने नित्य के जीवन में प्रयोग करते हैं, मैं एक गहरे अर्थ को व्यक्त करना चाहूंगा; लेकिन यदि आप इस बात से परिचित नहीं हैं कि सुना कैसे जाता है तो यह करना भी बड़ा कठिन होगा। सुनना एक कला है। वास्तव में सुनने में सक्षम होने के लिए व्यक्ति को अपने समस्त पूर्वाग्रहों का, पूर्वमान्यताओं का तथा रोज़मर्रा की आदतों का परित्याग करना होगा, उन्हें एक तरफ कर देना होगा। किसी भी चीज़ को उसी समय आसानी से समझा जा सकता है जब मन ग्रहणशील अवस्था में होता है; आप सुन तभी पाते हैं जब किसी चीज़ पर आप सचमुच ध्यान देते हैं। परंतु दुर्भाग्य से अधिकांश व्यक्ति प्रतिरोध के आवरण के पीछे से सुनते हैं। हम पूर्वाग्रहों से घिरे रहते हैं–वे धार्मिक हों अथवा आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक हों अथवा वैज्ञानिक; या फिर दैनिक चिंताएं, आकांक्षाएं और आशंकाएं हमें घेरे रहती हैं। इस प्रकार के आवरण के पीछे से हम सुनते हैं। अतः वास्तव में हम स्वयं अपने ही शोर को, अपनी ही आवाज़ को सुनते हैं, उसे नहीं जो कि कहा जा रहा है। अपने शिक्षा-संस्कारों का, अपने पूर्वाग्रहों का, अपने रुझान और प्रतिरोध का परित्याग कर एवं शाब्दिक अभिव्यक्तियों के परे जाकर इस प्रकार सुनना कि हमें तत्क्षण बोध हो सके, बड़ा दुष्कर है और यही हमारी कठिनाइयों में से एक होगी। यदि इस वार्ता के दौरान कुछ भी ऐसा कहा जाये जो आपकी विचार-प्रक्रिया और विश्वास से अलग हो तो उसे ज़रा सुनें, उसका प्रतिरोध न करें। आप सही हो सकते हैं, और मैं गलत हो सकता हूं; लेकिन परस्पर सुनते एवं विचार करते हुए हम पता लगा लेंगे कि सत्य कया है। सत्य ऐसा कुछ नहीं जो कोई आपको दे सके। उसे आपको ही खोजना है; और उस खोज के लिए मन की एक ऐसी अवस्था आवश्यक हो जाती है जिसमें प्रत्यक्ष बोध हो सके। किसी भी तरह के प्रतिरोध, आवरण, संरक्षण के होते हुए प्रत्यक्ष बोध नहीं हो सकता। “जो है’ उसके प्रति जागरूक होने पर ही वह बोध संभव है। “जो है” को, यथार्थ को, जैसा वास्तव में है उसको ठीक-ठीक जानना, बिना उसकी कोई व्याख्या किए, बिना निंदा या तरफदारी के निस्संदेह यही प्रज्ञा का आरंभ है। जब हम अपनी संस्कारबद्धता के अनुसार, अपने पूर्वाग्रह के अनुसार व्याख्या करने लगते हैं, रूपांतरण करने लगते हैं, तब हम सत्य को खो देते हैं। अंततः यह एक प्रकार का अनुसंधान ही है।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| AudioBook Name | प्रथम और अंतिम मुक्ति / The First and Last Freedom |
| Author | J. Krishnamurthy |
| Category | Hindi Audiobooks Philosophy Book in Hindi Social PDF Books In Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Duration | 2:10:57 hrs |
| Source | Youtube |
“एक अच्छी पुस्तक पढ़ने का पता तब चलता है जब उसका आखिरी पृष्ठ पलटते हुए आपका कुछ ऐसा लगे जैसे आपने एक मित्र को खो दिया।” ‐ पॉल स्वीनी
“You know you’ve read a good book when you turn the last page and feel a little as if you have lost a friend.” ‐ Paul Sweeney
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Ye Audibook Hai, ise aap online sun sakte hain download nahi kar sakte. Dhanyawad
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