अच्छा बोलने की कला और कामयाबी : डेल कारनेगी द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | Achchha Bolne Ki Kala Aur Kamyabi : by Dale Carnegie Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | अच्छा बोलने की कला और कामयाबी / Achchha Bolne Ki Kala Aur Kamyabi |
Author | Dale Carnegie |
Category | Audiobooks, प्रेरक / Motivational |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 3:06 hrs |
Source | Youtube |
Achchha Bolne Ki Kala Aur Kamyabi Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : पुस्तक की दक्षता उस व्यक्ति के समान होती है, जो किसी विषय विशेष पर अपने दृष्टिकोण के द्वारा ऊर्जा के प्रथम स्रोत तक पहुँचता है। पुस्तक में सुझावों की अभिव्यक्ति प्रभावशाली हो सकती है; लेकिन यदि विषय के प्रति लेखक का दृष्टिकोण गलत हो तो अच्छे-से-अच्छा सुझाव भी अप्रभावशाली प्रतीत हो सकता है। सार्वजनिक रूप से बोलने की कला से संबंधित प्रशिक्षण की विषय-वस्तु का बाहरी स्वरूप महत्त्वपूर्ण नहीं होता। मुख्य रूप से इसका संबंध किसी विशेष शैली को हू-ब-हू सीखना भी नहीं है। इसका संबंध स्थापित मानकों का अनुपालन करना भी नहीं है। किसी व्यक्ति के लिए सर्वजन के सामने बोलने की कला का मतलब उसकी अपनी शैली के मुताबिक सामान्य अभिव्यक्ति एवं सार्वजनिक प्रचालन है। इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति को सर्वप्रथम इस कला से जुड़े योग्य एवं महत्त्वपूर्ण पहलुओं को बारीकी से समझना चाहिए। यदि सीखनेवाले के व्यक्तित्व में कुछ विशेष गुण न छिपे हों तो ऐसी कोई युक्ति नहीं है, जिसके जरिए सार्वजनिक रूप से बोलनेवाले व्यक्ति को एक मशीन से ज्यादा कुछ और बनाया जा सके, या कहिए कि एक अत्यधिक निपुण मशीन। लिहाजा हमारी प्रशिक्षण प्रणाली का मुख्य आधार स्व-विकास है। प्रणाली का दूसरा सिद्धांत पहले सिद्धांत के बेहद करीब है। व्यक्ति के लिए अपने विचारों, भावनाओं और शारीरिक शक्तियों पर काबू रखना बेहद जरूरी है, ताकि बाहरी व्यक्तित्व के माध्यम से आंतरिक व्यक्तित्व को अबाधित अभिव्यक्ति का बोध कराया जा सके। भाषा, स्वर-शैली और संकेतों जैसे उपयोगी गुणों को तब तक सीखना व्यर्थ है, जब तक इस प्रणाली के दो मुख्य सिद्धांत सामान्य–अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार एवं स्वविकास को जीवन में न उतारा जाए बोलने से पहले अनुमान लगाना इस प्रक्रिया का तीसरा सिद्धांत है। ध्यान देना चाहिए कि भाषा-शैली से किसी विवाद को पनपने का मौका तो नहीं मिल रहा है। उत्तम भाषा-शैली को पहचानने की योग्यता न रखनेवाले व्यक्ति के लिए इस कला को सीखना बेहद मुश्किल साबित हो सकता है। व्याख्यान में यह अंतहीन चक्र के समान प्रतीत हो सकता है, लेकिन वास्तव में यह अनुभव का विषय है। अनेक शिक्षकों ने प्रशिक्षण की शुरुआत के लिए कैसे को महत्त्वपूर्ण माना है, लेकिन यह एक निरर्थक प्रयास है। यह एक प्राचीन धारणा है कि किसी कार्य को करके ही उसे सीखा जा सकता है। प्रशिक्षण के शुरुआती दौर में सार्वजनिक रूप से बोलने की कला सीखनेवाले व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी है बोलना। इस दौर में स्वर-शैली और संकेतों जैसे अन्य विषयों का अध्ययन खास उपयोगी साबित नहीं होता। बोलने के बाद स्व-अवलोकन और दर्शकों की आलोचनाओं के आधार पर बोलने की कला को तराशा जा सकता है। बड़ा सवाल है कि क्या खुद की कमी का आकलन किया जा सकता है? इसके लिए तीन तथ्यों की जानकारी जरूरी है। आम राय के मुताबिक, प्रभावी वक्ता की कया विशेषताएँ होती हैं? इन विशेषताओं को अर्जित करने का माध्यम क्या है? और सीखनेवाले की शैली में वह कौन सी कमी है, जो इन विशेष गुणों को अर्जित करने के रास्ते में अड़चन का काम कर रही है? इसका अर्थ है कि अनुभव को उच्चतम शिक्षक नहीं माना जा सकता; लेकिन पहला और आखिरी अवश्य ही माना जा सकता है। यह भी आवश्यक है कि अनुभव का दोहरा इस्तेमाल किया जाए, यानी खुद के अनुभव को न्यायसंगत एवं संशोधित करने के लिए अन्य लोगों के अनुभव की कसौटी पर भी खरा उतारना आवश्यक होता है। खुद को आत्म-ज्ञान के लिए प्रशिक्षित करनेवाला व्यक्ति उच्चतम आलोचक बनने की योग्यता रखता है ऐसा ज्ञान जो अन्य मस्तिष्क सोचता हो और खुद के आकलन का ऐसा सामर्थ्य, जो योग्य मानकों पर खरा उतरता हो। कैट ने कहा है, “यदि मैं चाहूँ तो मैं कर भी सकता हूँ। इस अंक की विषय-सूची से इन लेखों की निरंतर घोषणा, व्याख्यान और मिसाल मिलती रहेगी। छात्रों को उनकी जानकारी के आधार पर बोलने के लिए निरंतर प्रेरित किया जाएगा। तत्पश्चातू, आत्मसंयम के सामान्य सुझावों के साथ आंतरिक व्यक्तित्व के द्वारा बाहरी व्यक्तित्व को प्रभावित करने की विधि पर जोर दिया जाएगा। अंत में, छात्र को खुद अर्जित किए सिद्धांत, अवलोकन, दूसरों से अर्जित किए अनुभव और अपनी निजी भाषाशैली के आधार पर बोलने और केवल बोलने के लिए प्रेरित किया जाता रहेगा।
“यदि आप में आत्मविश्वास नहीं है तो आप हमेशा न जीतने का बहाना खोज लेंगे।” ‐ कार्ल लेविस
“If you don’t have confidence, you’ll always find a way not to win.” ‐ Carl Lewis
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