परिणीता : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | Parineeta : by Sharatchandra Chattopadhyay Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | परिणीता / Parineeta |
Author | sharatchandra chattopadhyay |
Category | हिंदी ऑडियोबुक्स / Hindi Audiobooks, उपन्यास / Novel |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 2:19 hrs |
Source | Youtube |
गुरूचरण बाबू को जैसे ही यह समाचार मिला कि उनकी पली बिना किसी विघ्न बाधा के पांचवीं कन्या को जन्म दिया है और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ है, सुनते ही उनका चेहरा स्लान, रक्ततहीन और निस्तेज हो गया । शक्ति-बाण लगने पर रामायण के लक्ष्मण का चेहरा भी शायद इसी प्रकार और मुरझा-सा गया होगा । गुरचरणबादू एक बैंक में साधारण क्लकं हैं। वेतन था साठ रुपए। आप सहज ही अनुमान जगा सकते हैं कि उनका शरीर कैसा होगा । किराए पर चलने वाले तांगे के मर्यिल घोड़े जैसा । उत्ते ही दुबले-पतले । उतने ही दयनीय । चाबुक खाने के लिए सदैव तत्पर । इसके बावजूद यह महामयंकर शुभ-संवाद सुनकर उनके तन-मन पर जो कोड़ा पड़ा, उससे वह स्तब्ध रह गए । हाथ मै ली हुई गुड़पुड़ी हाथ मं हो रह गई । उसे मुंह तक लाने और एक कश खींचने तक की शक्ति उनके अंदर नहीं रही । वह इस तरह धम से नीचे बैठ गए जैसे उनके अंदर की सारी शक्ति निकल गई हो और स्तव्ध वहीं पे रहे । यह शुभ-संवाद लाई थी उनकी तीसरी कया अनाकाली जिसकी उम्र दस वर्ष थी। शुभ-संवादेने के बाद वह अपने पिता से बोली-*बाबूजी चलो न अंदर । देख तो लो माँ औरणुड़िया को। गुर्चण ने दृष्टि ऊपर की । अनाकाली को देखा और तब शक्ति बटोस्ते हुए उससे बोले-“एक गिलास पानी तो ले आ बिटिया! पहले पानी पीऊंगा । अनाकाली अपने पिता की ओर आश्चर्य से देखती हुई अंदर चली गई । गुरुचरण उसी तरह बैठे-बैठे इस पैदाइसी मे होने वाले खर्चा के संबंध में सोचने लगा । लोगों से मर प्लेटफॉर्म पर गाड़ी के आते ही मुसाफिर किसी कम्पा्टमेंट के खुले दरवाजे को देखते ही अपना बोरिया-विस्तर लेकर किस तरह अंदर घुस पढ़ने के लिए मारा-मारी शुरू कर देते हैं, उसी तरह अनेक तमामि क्ताओं की मौड़ गुरुचरण के दिया में आने लगी। उउहे ध्यान आया, पिछले वर्ष अपनी दूसरी बेटी का विवाह कसते समय उन्हें बहू बाजार का यह अपना दुर्म॑निला पैतृक मकान गिखी रख कर्ज लेना पड़ा था। पिछले छह महीने से वह सूद की एक भी किस्तनहीं चुका सके है । अगले महीने नवरात्र मे दुर्गापुजा के अवसर पर उन्हें अपनी बीच वाली बेटी के घर नए कपड़े, फल और
“मित्र वे दुर्लभ लोग होते हैं जो हमारा हालचाल पूछते हैं और उत्तर सुनने को रुकते भी हैं।” ‐ एड कनिंघम
“Friends are those rare people who ask how we are and then wait to hear the answer.” ‐ Ed Cunningham
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