अपना पराया : रमेश पोखरियाल निशंक | Apna Paraya : By Ramesh Pokhriyal Nishank Hindi Book
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अपना पराया पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : मानवीय संवेदनाओं का दर्पण कथाकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का उपन्यास अपना पराया निस्संदेह मानवीय संवेदनाओं का उज्ज्वल दर्पण है। पर्वतीय समाज की संस्कृति एवं जीवन मूल्यों के ताने-बाने से बुनी गई। कथा अत्यंत रोचक है और देवभूमि गढ़वाल का परिचय कराने में सफल है।
डॉ. ‘निशंक’ की पात्र सृष्टि में सास एवं माँ कमला, देवर एवं पुत्र राहुल, बहू एवं भाभी लक्ष्मी तथा प्रेरक इंजीनियर पांडे-दंपती के चरित्रों में पाठक निश्चय ही पूरी तरह से रमकर मानव जीवन के सकारात्मक एवं नकारात्मक रूपों का साक्षात्कार करता है।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | अपना पराया | Apna Paraya |
| Author | Ramesh Pokhriyal Nishank |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 168 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“बच्चे गीले सीमेंट के समान हैं। जो कुछ उन पर गिरता है, एक छाप छोड़ जाता है।” हैम गिनॉट
“Children are like wet cement. Whatever falls on them makes an impression.” Haim Ginott
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