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दक्षिणी कामरूप की गाथा : इंदिरा गोस्वामी द्वारा हिंदी पुस्तक | Dakshini Kamrup Ki Gatha : By Indira Goswami Hindi Book

दक्षिणी कामरूप की गाथा : इंदिरा गोस्वामी द्वारा हिंदी पुस्तक | Dakshini Kamrup Ki Gatha : By Indira Goswami Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name दक्षिणी कामरूप की गाथा | Dakshini Kamrup Ki Gatha
Author
Category
Language
Pages 278
Quality Good
Download Status Not for Download

पुस्तक के कुछ अंश : यह उपन्यास असम के कामरूप जिले के एक दूर-दराज कोने में बसे एक छोटे से गाँव के सत्र से सम्बन्धित है। दरअसल, यह एक गोसाई परिवार की गाथा है और इसकी समयावधि 19वीं शताब्दी के आरम्भिक काल (1820) से शुरू होकर भारत के ब्रिटिश शासन से स्वतन्त्रता पाने तक (1947-18), यानी सवा सौ वर्ष तक फैली हुई है। इसी गोसाई परिवार के मुखिया सत्र के अधिकार भी बनते रहे। इन अधिकारों को सत्र के लिए अधिकांश भूमि असम के अहोम राजाओं से दान में मिली थी। जनरल ज़ेकिन के समय में ब्रिटिश शासकों ने भूमि के अनुदान सम्बन्धी क़ानूनों को बदल डाला। स्वतन्त्रता के बाद भूमि सम्बन्धी कुछ सुधार भी हुए और उनसे इन अधिकारों की भूसम्पदा को और ठेस पहुँची। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि इस उपन्यास में एक वैष्णव सत्र, राजापुखरी सत्र की भूमि का भी जिक्र आता है।
सत्र के अधिकारों का जीवन विलासपूर्ण और तड़क-भड़क वाला था जिसका धीरे-धीरे क्षरण होता गया यह उपन्यास इन अधिकारों के आखिरी दिनों की कहानी कहता है। इसका मुख्य पात्र, जो कि एक आदर्शवादी युवा गोसाई है, अपनी ही रेयत के हाथों मारा जाता है।

“आप कभी भी नया लक्ष्य निर्धारित करने या नया सपना देखने के लिये बहुत बूढ़े नहीं होते।” ‐ सी. एस. लुईस
“You are never too old to set another goal or to dream a new dream.” ‐ C S Lewis

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