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एकादश रुद्र (शिव) / Ekadash Rudra (Shiv)

एकादश रुद्र (शिव) | Ekadash Rudra (Shiv)
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name एकादश रुद्र (शिव) / Ekadash Rudra (Shiv)
Author
Category,
Language
Pages 38
Quality Good
Size 30 MB
Download Status Available

सभी मित्र हस्तमैथुन के ऊपर इस जरूरी विडियो को देखे, ज्यादा से ज्यादा ग्रुप में शेयर करें| भगवान नाम जप की शक्ति को पहचान कर उसे अपने जीवन का जरुरी हिस्सा बनाये|

एकादश रुद्र (शिव) पुस्तक का कुछ अंश : तीनों लोकों का संहार करने वाले भगवान्‌ हर भीतर से सतोगुणी हैं, पर बाहर से तमोगुणी हैं। भगवान्‌ ब्रह्मदेव जो तीनों लोकों को उत्पन्न करते हैं, भीतर और बाहर उभयरूपमें रजोगुणी हैं और भगवान्‌ परब्रह्म शिव तीनों गुणों से परे हैं। इसका रहस्य यह है कि सुख का रूप सतोगुण है, दुःख का रूप तमोगुण और क्रियाका रूप रजोगुण है। भगवान्‌ विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं, इसलिये देखने में तो सृष्टि सुखरूप प्रतीत होती है; परन्तु भीतर से अर्थात्‌ वास्तव में दुःखरूप होने  से विष्णु भगवान्‌का कार्य बाहर से सतोगुणी होनेपर भी तत्त्वतः तमोगुणी ही है। इसीलिये भगवान्‌ विष्णुके वस्त्राभूषण सुन्दर और सात्त्विक होनेपर भी स्वरूप श्यामवर्ण है………

“जीतने का इतना महत्त्व नहीं है जितना की जीतने के लिए प्रयास करने का महत्त्व होता है।” जिग जिगलार
“Winning is not everything, but the effort to win is.” Zig Ziglar

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