Khushabu Bana Gai Vaha : By Niti Agnihotri Hindi Book | ख़ुशबू बन गई वह : नीति अग्निहोत्री द्वारा हिंदी पुस्तक
ख़ुशबू बन गई वह पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : यह सच है कि एक महिला ही दूसरी महिला की पीड़ा को ज्यादा अच्छी तरह से समझ सकती है, क्योंकि वह उस भावनात्मक स्तर पर जा सकती है, जो उसे ईश्वर से प्राकृतिक रूप से संवेदनशीलता तथा करुणा के रूप में मिला है। ‘प्रभाती’ ने स्त्री समाज में व्याप्त मिथकों को तोड़ा, नई दिशा और आयाम दिए ताकि औरों को भी प्रेरणा व ऊर्जा मिले तथा वे टूटें नहीं जो अपनी अस्मिता, व्यक्तित्व की पहचान के लिए जूझ रही हैं, उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास करेगा ‘प्रभाती’ का व्यक्तित्व और जुझारूपन, जिसने हार नहीं मानी। जीवन को एक चुनौती की तरह लिया ‘प्रभाती’ ने और समाज के लिए भी वह एक मिसाल बन गई, जिसने उसके सारे गुनाहों को माफ कर उसके व्यक्तित्व की खुशबू को सराहा।
यह उपन्यास उसी खुशबू की परिणति है और प्रभाती के प्रति आदरांजलि भी जिसने विकट परिस्थितियों में भी अपने सामाजिक दायित्वों का भली-भाँति निर्वहन किया।
नारी विमर्श का यह उपन्यास पाठकों को कुछ सोचने के लिए अवश्य ही विवश करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
Click the link and enjoy more Hindi books in PDF.
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | ख़ुशबू बन गई वह | Khushabu Bana Gai Vaha |
| Author | Neeti Agnihotri |
| Category | Literature Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 92 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“गुस्से से ज्ञान का प्रकाश बुझ जाता है।” आर. जी. इंगरसोल
“Anger blows out the candle of the mind.” R. G. Ingersoll
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें












