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अहोई अष्टमी व्रत कथा (पूजा, विधि, सामग्री) / Ahoi Ashtami Vrat Katha (Puja, Vidhi, Samgragi)

अहोई अष्टमी व्रत कथा (पूजा, विधि, सामग्री) - - धार्मिक | Ahoi Ashtami Vrat Katha (Puja, Vidhi, Samgragi) : Hindi PDF Book - Religious (Dharmik)
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पुस्तक का विवरण : अहोई अष्टमी की पूजा सामग्री में माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुब दिया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/सूट के दुपट्टे में बांध लेते हैं। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर मिट्टी के करवे में पानी रखते…….

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Pustak Ka Vivaran : Ahoi Ashtami ki pooja samagri mein Mata jee ke samane chaval ki katori, mooli, Singhade rakhate hain aur sub diya rakhakar kahani kahi jati hai. Kahani kahate samay chaval hath mein liye jate hain, unhen sari/soot ke dupatte mein bandh lete hain. Subah pooja karate samay lote mein pani aur uske oopar mitti ke karave mein pani rakhate……….

Description about eBook : In the worship material of Ahoi Ashtami, a bowl of rice, radish, water chestnut is kept in front of the mother and the story is told by placing a lamp. While telling the story, rice is taken in hand, they are tied in a sari/suit dupatta. While worshiping in the morning, keep water in the pot and keep water in the earthen pot on top of it…..

पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name अहोई अष्टमी व्रत कथा (पूजा, विधि, सामग्री) / Ahoi Ashtami Vrat Katha (Puja, Vidhi, Samgragi)
CategorySocial PDF Books In Hindi हिन्दू / Hinduism Hindi Books Ahoi Ashtami Book in Hindi PDF Fast - Vrat Book in Hindi PDF Religious Books in Hindi PDF Spiritual PDF Book in Hindi
Language
Pages 8
Quality Good
Size 1 MB
Download Status Available
“अगर कोई छोटे मामलों में सच के प्रति लापरवाह होता है तो उस पर बड़े मामलों की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती।” अल्बर्ट आइन्सटाइन
“Whoever is careless with the truth in small matters cannot be trusted with important matters.” Albert Einstein

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यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष को अष्टमी को किया जाता है। जिस दिन (वार) की दीपावली होती है, उससे ठीक एक सप्ताह पूर्व उसी दिन (वार) को अहोई अष्टमी पड़ती है। व्रत करने वाली स्त्री को इस दिन उपवास रखना चाहिए। सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएं। पुतली के पास सेई व सेई के बच्चे भी बनाएं, चाहें तो बना-बनाया चार्ट खरीद सकती हैं।

अहोई अष्टमी भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने सन्तान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। अहोई अष्टमी के नियम अलग-अलग जगहों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इस साल अहोई अष्टमी 28 अक्टूबर को है। अगर आप भी इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं तो जान लें पूजन साम्रगी, पूजा विधि –

अहोई अष्टमी पूजन के लिए सामग्री-
अहोई माता मूर्ति/चित्र स्याहु माला दीपक करवा पूजा रोली, अक्षत तिलक के लिए रोली दूब कलावा पुत्रों को देने के लिए श्रीफल माता को चढ़ावे के लिए श्रृंगार का सामान बयाना सात्विक भोजन चौदह पूरी और आठ पुओं का भोग चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े, फल खीर दूध व भात वस्त्र बयाना में देने के लिए नेग (पैसे)|

अहोई अष्टमी पूजन शुभ मुहूर्त 2021-
अष्टमी तिथि का व्रत   – 28 अक्टूबर 2021, दिन बृहस्पतिवार।
पूजा का शुभ समय व मुहूर्त – शाम को 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 56 मिनट तक।
पूजा की अवधि – 01 घंटा 17 मिनट तक

अहोई व्रत का उजमन 

जिस स्त्री के बेटा अथवा बेटे का विवाह हुआ हो, उसे अहोई माता का उजमन करना चाहिए। एक थाल में चार-चार पूडियाँ सात जगह रखें। फिर उन पर थोड़ा-थोड़ा हलवा रख दें। थाल में एक तीयल (साड़ी, ब्लाउज) और सामर्थ्यानुसार रुपये रखकर, थाल के चारों ओर हाथ फेरकर सासूजी के चरण स्पर्श करें तथा उसे सादर उन्हें दे दें। सासूजी तीयल व रुपये स्वयं रख लें एवं हलवा-पूरी प्रसाद के रूप में बांट दें। हलवा-पूरी का बायना बहन-बेटी के यहाँ भी भेजना चाहिए।

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