अष्टावक्र गीता : हिंदी ऑडियो बुक | Ashtavakra Geeta : Hindi Audiobook
Ashtavakra Geeta Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : अष्टावक्र गीता’ भारतीय अध्यात्म साहित्य की अनमोल निधि है। इसका महत्त्व भगवद्गीता से कम नहीं । मिथिला नरेश और शरीर से अत्यन्त कुरूप मुनि ‘अष्टावक्र’ के आपसी संवाद अध्यात्म-साहित्य की ऐसी धरोहर हैं, जिस पर गर्व किया जा सकता है ।ये पुस्तक अष्टावक्र गीता पर आचार्य प्रशांत की व्याख्याओं का संकल्प है। आचार्य जी एवं साधकों के मध्य गहन चर्चा और प्रशनोत्री के फलस्वरूप ये व्याख्या पुस्तक में संकल्प की गई है। साधक अपनी शंकाओं को दूर करने और अपने दैनिक जीवन में अष्टावक्र गीता के व्यवहारिक अनुप्रयोग से संबंध प्रश्न पूछे हैं। आचार्य प्रशांत शास्त्री की उन्नतियों को हम स्टार पर लाते हैं जहान श्रोतगण अच्छे श्लोकों को भी आसन से समझ सकते हैं, उनसे लभनवित हो सकते हैं और अंतः आत्मज्ञान की ऊंचाइयां तक पांच सकते हैं। इस्से कोई फ़र्क़ नहीं पाता की आप आध्यात्मिक के शुरुआत में दौर में है आठ एक गहरे साधक हैं; याद आप समकालेन परीपेश और भाषा में अद्वैत वेदांत के कालातीत ज्ञान से परिचित होना चाहते हैं, यो ये किताब आपके लिए अन्या है।
Click the link to get the Ashtavakra Gita Hindi PDF book.
जो रूप हैं अष्टावक्र, जो जीव हैं, जो व्यक्ति हैं, उसके बारे में स्पष्टटया कुछ ज्ञात नहीं है। कोई कहता है कि कृष्ण पूर्व के थे, कोई कहता है कि उनकी गीता भगवद्गीता के बाद की है। कुछ लोग उनका काल और बाद का रखते हैं, आदि ‘शंकर के आस-पास का, और एक-दो लोगों ने तो उन्हें मध्य युग में भी स्थापित कर दिया है। पर इन सबसे कोई फ़र्क़ पड़ता नहीं है। अष्टावक्र समय और स्थान से आगे की बात हैं। अष्टावक्र सारी कथा-कहानियों से आगे की बात हैं। इसीलिए उनकी गीता संजोई गई। उनकी गीता अक्षर-अक्षर जीवित है, लेकिन उनकी जीवनी नहीं संजोई गई। जो लोग अष्टावक्र की गीता से एक शब्द भी विलुप्त न होने दिए, वो ये भी तो कर सकते थे कि उनकी जीवनी को, उनके इतिहास को, उनके चरित्र को संजोकर रखते, एक-एक वृतांत, एक-एक घटना का विवरण देकर रखते। जिसकी महानता का ये पता था कि उसका गीत न विलुप्त होने पाए, उसकी जीवन गाथा को क्यों विलुप्त होने देते ? पर विलुप्त होने दिया; क्योंकि कुछ लोग, लोग नहीं होते, कुछ व्यक्ति, व्यक्ति नहीं होते। और जो व्यक्ति व्यक्तित्व की सीमाओं का अतिक्रमण कर गया हो, उसके जन्मस्थान की बात करना, उसके इतिहास की बात करना, उसके जीवन की घटनाओं की बात करना, ये सब ज़रा गैर ज़रूरी हो जाता है, गैर ज़रूरी ही नहीं भ्रामक हो जाता है।
अष्टावक्र से मिलने जा रहे हैं, कुछ तो अष्टावक्र जैसा होना पड़ेगा न। वो अगर चौथे तल पर रहते हों तो आप पहले पर रहकर कैसे कर पाएँगे मुलाक़ात? किसी के चरण भी स्पर्श करने हों तो भी उसी के तल पर जाना पड़ता है। पहली मंज़िल पर रहकर तो चौथी मंज़िल वाले के पाँव भी नहीं छू पाएँगे। पाँव छूने के लिए भी कुछ तो उसके समकक्ष होना चाहिए, झुकने के लिए भी कुछ तो पात्रता चाहिए। तो “हम कुछ नहीं जानते,” यहाँ से हमारी शुरुआत होनी है। अब जब शुरू कर रहे हैं तो कुछ बातों का ख़्याल रखेंगे। हममें से कुछ लोग तो वो हैं जो कर्मयोग मुलाक़ातों की श्रंखला से, फिर भक्ति योग और पुरुषोत्तम योग से गुज़र चुके हैं, तो वो जानते हैं कि कैसे आगे बढ़ना है, कैसे नहीं। कुछ लोग नए हैं। आप यहाँ किसी मंतव्य के साथ नहीं आएँ हैं, आपको यहाँ कुछ करना नहीं है।
जब मानसिक रूप से ही नहीं करना है तो शारीरिक रूप से करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। तो लिखने इत्यादि की कोई ज़रूरत नहीं है, ये सिफ आपको भटकाएगा। आप यहाँ इस क़दर मौजूद रहें कि गैर-मौजूद रहें। जो यहाँ गैरमौजूद हैं, उनका यहाँ कुछ पता लग रहा है क्या? तो आपकी मौजूदगी भी ऐसी होनी चाहिए कि आपका यहाँ पता न लगे। आपकी मौजूदगी एक गैर-मौजूदगी होनी चाहिए।
अद्ठारवाँ प्रकरण है अष्टावक्र गीता का। पूरी गीता ही अमृत है, चुनाव का कोई प्रश्न नहीं उठता। जो भी पृष्ठ खोल लें, जहाँ भी ऊँगली रख दें, वहीं पर सौभाग्य है। लेकिन फिर भी अद्ठारवाँ अध्याय मुझे बड़ा रसपूर्ण लगता है। बिजली की सी तेज़ी है इसमें, ऐसा अमृत है जो खंजर की तरह वार करता है, और एक के बाद एकसौ। सौ श्लोक हैं। इसको मैंने आपके लिए चुना है।
”यस्य बोधोदये तावल्स्वप्रवद् भवति भ्रमः। तस्मै सुखैकरूपाय नमः शा-
न्ताय तेजसे॥ अष्टावक्र कहते हैं – जिसको बोध का उदय होने पर, जागने पर स्व-
प्रके समान भ्रम की निवृत्ति हो जाती है, उस एकमात्र सुखस्वरुप शांत प्रकाश को”
नमस्कार है। – अष्टावक्र गीता, अध्याय १८, श्लोक १
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| AudioBook Name | अष्टावक्र गीता / Ashtavakra Geeta |
| Author | Unknown |
| Category | Hindi Audiobooks Granth Book in Hindi PDF | ग्रन्थ |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Duration | 1:01:59 hrs |
| Source | Youtube |
“जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो हम बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – केवल सतह मात्र का नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का।” वाल्ट डिज़्नी
“When we consider a new project, we really study it – not just the surface idea, but everything about ¡t.” Walt Disney
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें












