अथर्व वेद भाग १ : हिंदी ऑडियो बुक | Atharva Ved Vol. 1 : Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | अथर्व वेद भाग १ / Atharva Ved Vol. 1 |
Author | Unknown |
Category | ऑडियोबुक्स / Audiobooks, हिन्दू / Hinduism, वेद / Ved |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 1;46:58 hrs |
Source | Youtube |
Atharva Ved Vol. 1 Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : भारतीय साहित्य एवं संस्कृति में लंबे समय तक तीन ही वेदों की मान्यता रही थी ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद। इन तीनों वेदों में जहां यज्ञों, देवस्तुतियों, स्वर्ग प्राप्ति आदि को महत्त्व दिया गया है, वहीं चौथे अर्थात अथर्ववेद में इन के अतिरिक्त लौकिक जीवन से संबंधित औषधियों, जादू, टोनोंटोटकों का भी वर्णन है। इस रूप में अथर्ववेद की महत्ता स्वयं सिद्ध है। यज्ञों में भी अथर्ववेद को विशेष महत्त्व प्राप्त रहा है, क्योंकि यज्ञ के प्रधान ट्टत्विज के लिए अथर्ववेद का ज्ञान होना अनिवार्य है। प्रसिद्ध ‘पृथ्वी सूक्त’ अथर्ववेद का ही विशेष सूक्त है, जिस में पृथ्वी को माता कहा गया हैµफ्माता पृथिवी पुत्रे{हं पृथिव्याः।य् यह भावना शेष तीनों वेदों में नहीं मिलती।
इस महत्त्वपूर्ण वेद का सायण भाष्य पर आधारित यह सरल एवं सुबोध हिंदी अनुवाद सभी वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।
“प्रथम कांड में विविध रोगों की निवृत्ति, बंधन से मुक्ति, राक्षसों का विनाश, सुख प्राप्ति आदि का निरूपण है. द्वितीय कांड में रोग, शत्रु एवं कृमिनाश तथा दीर्घायुष्य की प्रार्थना है. तृतीय कांड में शत्रुसेना का सम्मोहन, राजा का निबाचन, शाला निर्माण, कृषि तथा पशु पालन का विवरण है. चतुर्थ कांड में ब्रह्म-विद्या, विषनाशन, राज्याभिषेक, वृष्टि, पापमोचन तथा ब्रह्मोदन का वर्णन है. पंचम कांड में मुख्यत ब्रह्म विद्या और कृत्या राक्षसी के परिहार से संबद्ध मंत्र हैं. षष्ठ कांड में दुःस्वप्ननाशन और अन्न समृद्धि के मंत्र हैं. सप्तम कांड आत्मा का वर्णन करता है. अष्टम कांड में मुख्यतया विराट् ब्रह्म का वर्णन है. नवम कांड में मधु विद्या, पंचोदन, अज, अतिथि सत्कार, गो महिमा एवं यक्ष्मा का नाश–ये विषय हैं. दशम कांड में कृत्या निवारण, ब्रह्मविद्या, शत्रु नाश के लिए वरणमणि, सर्पविषनाशन एवं ज्येष्ठ विषनाशन का वर्णन है. एकादश कांड में ब्रह्योदन, रुद्र तथा ब्रह्मचर्य का वर्णन है. द्वादश कांड में प्रसिद्ध पृथ्वी सूक्त है, जिस में भूमि का महत्त्व वर्णित है. त्रयोदश कांड में पूर्णतया: अध्यात्म का प्रकरण है. चतुर्दश कांड में विवाह संस्कार से संबद्ध कार्यों का वर्णन है. पंचदश कांड में ब्रात्य ब्रह्म का गद्य में वर्णन है. षोडश कांड में दुःखमोचन के लिए गद्यात्मक मंत्र हैं |
सप्तदश कांड में अभ्युदय के लिए प्रार्थना है. अष्टादश कांड पितृमेध से संबद्ध है. एकोनविंश कांड में विविध विषय हैं–यक्ष, नक्षत्र, विविध मणियां, छंदों के नाम, राष्ट्र का वर्णन, काल का महत्त्व. विंश कांड में सोमयाग का वर्णन तथा इंद्र की स्तुति है. इस के अंत में 10 सूक्त “कुंताय सूक्त’ के नाम से प्रसिद्ध हैं |
अथर्ववेद का महत्व
अथर्ववेद की विषयवस्तु शेष तीनों वेदों–ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद से भिन्न है.
इन तीनों वेदों में यज्ञों, देवस्तुतियों, स्वर्ग प्राप्ति आदि को महत्त्व दिया गया है. इस के विपरीत अथर्ववेद में वर्णित ओषधियां, जादू, टोना टोटका आदि लौकिक जीवन से संबंधित हैं.
बहुत समय तक तीन वेदों की मान्यता रही थी. इस विषय में एक सूक्ति प्रस्तुत है–
त्रयो5्ग्र्यस्त्रययो वेदास्त्रयोदेवास्त्रयोगुणाः
त्रयो दंडि प्रबंधश्व त्रिषुलोकेषुविश्रुताः…
अर्थात तीन अग्नियां, तीन वेद, तीन गुण और दंडी कवि के तीन प्रबंध-तीनों नोकों में प्रसिद्ध हैं.
अथर्ववेद की भाषा भी शेष तीन वेदों की भाषा से सरल है. इन दृष्टियों से स्पष्ट होता है कि अथर्ववेद की रचना बाद में हुई है. वैसे यज्ञों में अथर्ववेद को विशेष महत्त्व प्राप्त है. यज्ञ में चार वेदों से संबंधित चार ऋत्विज होते हैं. उन में प्रधान ऋत्विज् ब्रह्मा कहलाता है. वह अपनी देखरेख में यज्ञ कार्य कराता है और शेष…….
“शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है।” ‐ चीनी कहावत
“Teachers open the door; you enter by yourself.” ‐ Chinese proverb
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