संस्कृत पुस्तकें ગુજરાતી પુસ્તકો मराठी पुस्तके বাংলা বই

मैं सेलिंग में असफलता से सफलता तक कैसे पहुँचा : फ्रैंक बेटगर द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | Main Selling Mein Asafalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha : by Frank Bettger Hindi Audiobook

मैं सेलिंग में असफलता से सफलता तक कैसे पहुँचा : फ्रैंक बेटगर द्वारा हिंदी ऑडियोबुक | Main Selling Mein Asafalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha : by Frank Bettger Hindi Audiobook
PDF डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया गया है

Main Selling Mein Asafalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : मैं इस पुस्तक के लेखक फ्रैंक बेटगर को 1917 से जानता हूँ। वह मुश्किल के रास्ते से होकर ऊपर पहुँचे हैं। उन्हें ज़्यादा शिक्षा पाने का मौक़ा नहीं मिला। वे ग्रेड स्कूल भी पूरा नहीं कर पाये। उनके जीवन की कहानी एक अनोखी अमेरिकी सफलता की कहानी है। उनके पिता उनके बचपन में ही गुज़र गये थे और उनकी माँ पाँच छोटे-छोटे बच्चों के साथ रह गई थीं। जब वे ग्यारह वर्ष के थे तो उन्हें हर दिन सुबह चाढ़े चार बजे सड़क पर अख़बार बेचने के लिये उठना पड़ता था ताकि वे अपनी विधवा माँ की मदद कर सकें जो अपने परिवार के भोजन की व्यवस्था के लिये कपड़े धोती थी और सिलाई करती थी। मिस्टर बेटगर ने मुझे बताया है कि कई मौक़े ऐसे आये जब उनके पास शाम के भोजन में सिर्फ़ कॉर्नगील मश और स्किम्ड मिल्क ही रहता था। 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। वे स्टीमफिटर के सहयोगी बन गये। अठारह वर्ष की उम्र में वे प्रेफेशनल बेसबॉल खिलाड़ी बन गये और दो साल तक वे सेंट लुई कार्डिनल्स के लिये तीसरे बेस पर खेले। फिर एक दिन शिकागो, इलिनॉय में शिकागो क्लब्स के ख़िलाफ़ खेलते हुये उनकी बाँह में चोट लग गयी और उन्हें मजबूरन बेसबॉल को छोड़ना पड़ा। वे अपने गृहनगर फिलाडेल्फिया लौट आये — जब मैं उनसे मिला तो वे 29 वर्ष के थें, जीवन बीमा बेचने की कोशिश कर रहे थे और सेल्समैन के रूप में पूरी तरह से असफल थे। परंतु अगले बारह सालों के दौरान उन्होंने इतना धन कमा लिया कि उन्होंने सत्तर हज़ार डॉलर की जायदाद ख़रीद ली और चालीस वर्ष की उम्र में ही रिटायर हो गये। मैं जानता हूँ। मैंने यह होते देखा है। मैंने उन्हें पूर्ण असफलता से अमेरिका के सबसे सफल और सबसे अधिक आमदनी करने वाले सेल्समैनों में से एक बनते देखा है। दरअसल, मैंने कुछ समय पहले उनसे यह आग्रह किया था कि वे मेरे साथ जुड़ जायें। मैंने उनसे कहा कि मैं युनाइटेड स्टेट्स जूनियर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के तत्वावधान में एक सप्ताह के जो कोर्स संचालित कर रहा था वे उसमें अपनी कहानी सुनायें। इन कोर्सों का विषय था “लीडरशिप प्रशिक्षण, मानवीय संबंध और सेल्समैनशिप।” फ्रैंक बेटगर इस विषय पर बोलने और लिखने के सच्चे अधिकारी हैं क्योंकि उन्होंने लगभग 40000 सेल कॉल्स की हैं– पच्चीस सालों तक हर दिन पाँच कॉल के हिसाब से। पहला अध्याय “किस तरह एक विचार ने मेरी आमदनी और सुख को कई गुना बढ़ाया” उत्साह की शक्ति पर मैरे द्वारा सुना गया सबसे प्रेरणादायक भाषण था। उत्साह ने फ्रैंक बेटगर को असफल लोगों की श्रेणी से बाहर निकाला और उन्हें देश के सबसे अधिक आमदनी वाले सेल्समैनों में परिवर्तित कर दिया। मैंने देखा है कि फ्रैंक बेटगर पहली बार सार्वजनिक रूप से बोलते समय किस तरह घबरा रहे थे। मैंने यह भी देखा है कि उन्होंने किस तरह पोर्टलैंड, ओरेगॉन, मियामी, फ्लोरिडा सभी जगहों में एकत्रित बड़े जनसमूह को अपनी चर्चाओं से आनंदित और प्रेरित किया। लोगों पर उनकी बातों का इतना अदभूत प्रभाव होते देखकर मैंने उनसे एक पुस्तक लिखने का आग्रह किया जिसमें उनके अनुभव हों, उनकी तकनिकें हों और सेलिंग कि उनकी फिलोसॉफ़ी हो, ठीक उसी तरह जिस तरह वे लेक्चर प्लेटफॉर्म से देश भर में हज़ारों लोगों को सफलता के सूत्र बताया करते थे। तो यह पुस्तक– जो सेल्समैनशिप पर मेरे व्दारा पढ़ी गयी अब तक की सबसे मददगार और प्रेरक पुस्तक है– सेल्समैनों की मदद करेगी, चाहे वे बीमा बेच रहे हों, जूते बेच रहे हों, या जहाज़ या सीलिंग वैक्स बेच रहे हों। यह पुस्तक तब भी अपना काम करती रहेगी जब फ्रैंक बेटगर इस दुनिया में नहीं रहेंगे। मैंने इस पुस्तक का हर पेज पढ़ा है। मैं उत्साह के साथ इसकी अनुशंसा कर सकता हूँ। एक सिगरेट के लिये आप एक मील पैदल चल सकने की बात करते हैं– जब मैंने बेचना शुरू किया था, तो मैं इस पुस्तक की एक प्रति हासिल करने के लिये शिकागो से न्यूयॉर्क तक खुशी-खुशी पैदल चलकर गया होता, अगर यह पुस्तक उस समय उपलब्ध होती।

पुस्तक का विवरण / Book Details
AudioBook Name मैं सेलिंग में असफलता से सफलता तक कैसे पहुँचा / Main Selling Mein Asafalta Se Safalta Tak Kaise Pahuncha
Author
CategoryHindi Audiobooks Business Books in Hindi
Language
Duration 6:46 hrs
Source Youtube
“है न यह अजीब बात कि हम उन चीज़ों के बारे में सबसे कम बात करते हैं जिनके बारे में हम सबसे अधिक सोचते हैं?” ‐ चार्ल्स लिंडबर्ग (१९०२-१९७४), अमरिकी वैमानिक
“Isn’t it strange that we talk least about the things we think about most?” ‐ Charles Lindbergh (1902-1974) American Aviator

हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें

Leave a Comment