शेखचिल्ली बुखार का इलाज : हिंदी ऑडियो बुक | Shekhchilli Bukhar Ka Ilaj : Hindi Audiobook
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | शेखचिल्ली बुखार का इलाज / Shekhchilli Bukhar Ka Ilaj |
Author | Unknown |
Category | ऑडियोबुक्स / Audiobooks, shekh chilli |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 6:46 mins |
Source | Youtube |
Shekhchilli Bukhar Ka Ilaj Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : शेखचिल्ली एकदिन घर के बरामदे में बैठा-बैठा खुली आँखों से सपने देख रहे थे। उनके सपनों में एक बहुत बड़ी पतंग उड़ी जा रही और शेखचिल्ली उसके ऊपर बैठा हुआ था | कितना आनंद आ रहा था आसमान में उड़ते हुए नीचे देखने में। हर चीज़ छोटी नज़र आ रही थी। तभी अम्मी की तेज़ आवाज ने उन्हें ख्यालों की दुनिया से बाहर निकाल दिया- “शेखचिल्ली ! शेखचिल्ली ! कहाँ हो तुम ? ‘आया अम्मी’, ख्यालों की दुनिया से निकल कर शेखचिल्ली घर के आँगन में पहुँचे। “मैं सलमा आपा के घर जा रही हूँ। उनकी बेटी की शादी की तैयारी कराने। शाम में आऊँगी और तुम्हारे लिए मिठाइयाँ भी लेकर आऊँगी। तब तक तुम दरांती लेकर खेतों से पड़ोसी की गाय के लिए घास काट लाना। कुछ पैसे मिल जायेंगे।” “जी अम्मी” शेखचिल्ली ने कहा और दरांती उठाकर खेतोंपर जाने के लिए तैयार हो गए। “सावधानी से जाना और दिन में सपने मत देखने लग जाना। दरांती को होशियारी से पकड़ना, कहीं हाथ न कट जाए।” अम्मी ने समझाते हुए कहा। “आप बिलकुल चिंता ना करें। मैं पूरी सावधानी रखूंगा।” शेख ने अम्मी को दिलासा दिया। शेखचिल्ली हाथ में दरांती लिए जंगल की ओर निकल पड़े। चलते-चलते उन्हें उन मिठाइयों का ध्यान आया, जो अम्मी ने लाने को कहा था। ‘कौन सी मिठाई लाएँगी अम्मी? शायद गुलाब जामुन। स्वादिष्ट, भूरे, चाशनी में डूबे गुलाब जामुन।’ उनके मुंह में पानी आने लगा। अचानक राह चलते ठोकर लगी और शेखचिल्ली वर्तमान में वापस आ गए। ‘ओह्ह , क्या कर रहा हूँ मैं। अम्मी ने मना किया था, रास्ते में सपने देखने को।’ उन्होंने अपने आप को समझाया। खैर, जंगल पहुँच कर दोपहर तक शेखचिल्ली ने काफी घास काट ली। उन्होंने घास का एक बड़ा सा गट्ठर बनाया और उसे सर पर रख कर वापस आ गए। गट्ठर को उन्होंने पड़ोसी के घर देकर पैसे ले लिए, तब उन्हें याद आया कि दरांती तो वो जंगल में ही छोड़ आये। दरांती वापस लानी ही थी, नहीं तो अम्मी के गुस्से का सामना करना पड़ता। शेखचिल्ली दौड़ते हुए वापस जंगल पहुँचे। दरांती वहीँ पड़ी हुई थी, जहाँ उन्होंने छोड़ी थी। शेखचिल्ली ने जैसे ही दरांती को छुआ, उन्हें झटका सा लगा और दरांती हाथ से छूट गयी। धूप में पड़े पड़े दरांती का लोहा खूब गर्म हो गया था। शेखचिल्ली दरांती को उलट-पलट कर देख रहा था और सोच रहा कि आखिर दरांती इतनी गर्म कैसे हुई। उनके पड़ोस में रहने वाला जुम्मन उधर से गुजरा।
जुम्मन ने शेख चिल्ली से पूछा, “क्या हुआ? इस पर शेख चिल्ली बोला, “पता नहीं मेरी दरांती को क्या हो गया है। पता नहीं कैसे यह बहुत ज्यादा गर्म हो गई है।” शेख चिल्ली की बात सुनकर जुम्मन मन ही मन हंसा और फिर उसने सोचा कि यह बहुत बड़ा मूर्ख है, जो इतनी छोटी सी बात नहीं समझ पा रहा है। उसके बाद जुम्मन ने शेख चिल्ली की इस मूर्खता का लाभ उठाने का सोचा और कहा, “मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम्हारी दरांती बुखार आने के कारण इतनी गर्म हो गई है। ”जुम्मन की यह बात सुनकर शेख चिल्ली और भी ज्यादा परेशान हो गया। शेख चिल्ली की बढ़ती परेशानी को देख जुम्मन बोला, “हमें इस दरांती का इलाज करने के लिए हकीम के पास ले जाना होगा।” तभी जुम्मन ने सोचा शेख चिल्ली की इस मूर्खता का फायदा उठाकर इस दरांती को क्यों न हथिया लिया जाए। फिर उसने योजना बनाते हुए कहा, “अरे नहीं, हकीम को छोड़ो, मुझे पता है बुखार का इलाज कैसे किया जाता है। मेरी दादी को भी अक्सर बुखार आ जाता है। मैंने हकीम को अपनी दादी का इलाज करते हुए देखा है। उन्हें देखकर मैंने भी बुखार का इलाज करना सीख लिया है। मैं इस दरांती का बुखार आसानी से उतार सकता हूं।” फिर क्या था, दरांती उठाकर जुम्मन आगे-आगे चलने लगा और उसके पीछे शेख चिल्ली भी चल पड़ा। आगे जाकर जुम्मन एक कुएं के पास रुका और फिर उसने दरांती को पास पड़ी एक रस्सी से बांधा और फिर उसे कुएं में लटका दिया इसके बाद जुम्मन ने शेख चिल्ली से कहा कि इसे ऐसी ही शाम तक लटके रहने दो। उम्मीद है कि रात तक दरांती का बुखार उतर जाएगा। उसके बाद तुम इसे यहां से घर ले जाना। हकीकत यह थी कि जुम्मन उस दरांती को शेख चिल्ली के जाने के बाद वहां से ले जाने वाला था।
अब शेख चिल्ली तो मूर्ख था, उसे जुम्मन के इरादे समझ नहीं आए और वह उसकी बात मानकर अपने घर लौट आया। शाम को जब उसे दरांती का ध्यान आया तो वह दरांती देखने के लिए कुएं की ओर चल दिया। शेख चिल्ली घर से निकला ही था कि तभी उसे जुम्मन की दादी की सिसकने की आवाज सुनाई दी।दादी की आवाज सुनकर शेख चिल्ली जुम्मन के घर चला गया। वहां उसने देखा कि जुम्मन की दादी को तेज बुखार है और वह दर्द से सिसक रही हैं। इस पर शेख चिल्ली ने सोचा कि उसे जुम्मन की दादी की मदद करनी चाहिए। इस ख्याल के साथ शेख चिल्ली ने दादी को पास पड़ी रस्सी से अपनी पीठ पर लाद कर बांध लिया और कुएं की ओर चल पड़ा। आस-पास के लोगों ने जब यह सब देखा तो सभी ने शेख चिल्ली को रोकने की बहुत कोशिश की। मगर, सबकी अनसुनी करते हुए शेख चिल्ली जुम्मन की दादी को कुएं तक ले आया। दरअसल, जुम्मन दादी की दवा लेने गया था, इसलिए वह दरांती लेने कुएं पर नहीं आ पाया था। इस वजह से जब शेख चिल्ली कुएं पर पहुंचा तो उसे दरांती उसी जगह मिली। उसने फौरन रस्सी खींचकर दरांती निकाली और जुम्मन की दादी को कुएं लटकाने की तैयारी करने लगा। तभी जुम्मन और उसके पिता को जब इस बात का पता चला कि शेख चिल्ली जुम्मन की दादी को पीठ पर लादकर कुएं की ओर ले गया है तो भागते हुए वे दोनों कुएं के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि शेख चिल्ली दादी को कुएं में लटकाने की पूरी तैयारी कर चुका है।
यह देखकर जुम्मन के पिता तेजी से चिल्लाए, “अरे पागल, यह करने जा रहा है तू।” शेख चिल्ली को कहां कुछ मालूम था, वह तो अपनी समझ से दादी का इलाज करने जा रहा था। इसलिए उसने बहुत आराम से जवाब देते हुए कहा कि दादी को बहुत तेज बुखार है। इसलिए मैं उनका इलाज करने जा रहा हूं। इस पर जुम्मन के पिता ने गुस्साते हुए पुछा कि यह इलाज का कौन सा तरीका है। इस पर शेख चिल्ली बोला कि यह तरीका तो मुझे खुद जुम्मन ने बताया है। उसी ने मुझे बताया कि हकीम दादी का ऐसे ही इलाज करते हैं और उसने मेरी दरांती का बुखार भी ऐसे ही ठीक किया था। शेख चिल्ली की ये बात सुनकर जुम्मन के पिता गुस्से से लाल हो गए और जुम्मन को घूरने लगे। अब जुम्मन अपनी ही चाल में फंस गया था और अपने किए पर शर्मिंदा था। जुम्मन के पिता को सारी बात समझ आ गई थी। उन्होने जुम्मन को मारने के लिए डंडा उठा लिया और उसे पीटने लगे। नासमझ शेख चिल्ली हैरान था कि जुम्मन के पिता जुम्मन को क्यों मार रहे हैं। मगर, जुम्मन के पिता इतने गुस्से में थे कि उसने उनसे कुछ भी पूछना उचित नहीं समझा और घर लौट आया। घर पर शेख चिल्ली की अम्मी मिठाइयों के साथ उसका काफी देर से इंतजार कर रही थीं।
“अपने मित्र में मुझे अपनी एक और अस्मिता दिखाई देती है।” ‐ इसाबेल नॉर्टन
“In my friend, I find a second self.” ‐ Isabel Norton
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