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अनोखेलाल : डॉ. सरोजिनी प्रीतम | Anokhelal : By Dr. Sarojini Pritam Hindi Book

अनोखेलाल : डॉ. सरोजिनी प्रीतम | Anokhelal : By Dr. Sarojini Pritam Hindi Book
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अनोखेलाल पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : अनोखेलाल का कहना था फिल्मों में मरना उतना आसान नहीं, जितना वास्तविक जीवन में। जीवन में एक बार मर जाइये तो हमेशा की छुट्टी हो जाती है। न बार-बार अर्जी देनी पड़ेगी, न ही कोई छुट्टी सैक्शन का चक्कर मर गये तो सारी छुट्टियों के हिसाब-किताब जीने वाले अपने आप करते रहेंगे। सारी चिन्ता-फिक छोड़कर आराम से मरिये, मज़े से मरिये बेखटके मरिये चैन की बंसी बजाइए। अपनी प्यारी राधा को बुलाइए। असली मरना भी क्या मरना है, शोक सभाएं जुटें… शोक प्रस्ताव हो। यहां तो मारने वाला, पैदा करने वाला है लेखका उसके मरने की मुद्रा बताने वाला है निर्देशका प्रस्ताव पास होने के बाद छोड़ो एक-एक लाइन लिखकर देने वाला है। लेखक-निर्देशक। अभी अनोखे पूरी तरह से सम्भल भी न पाया था कि मरने के दृश्य की फिर से नौबत आ गई। निर्देशक बोला, “अब तुम धड़ाम से गिर जाओ।”

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name अनोखेलाल | Anokhelal
Author
CategoryComedy Books in Hindi Entertainment Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi
Language
Pages 174
Quality Good
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