Poshan Avam Swasthya Vigyan : By Rama Sharma Hindi Book | पोषण एवं स्वास्थ्य विज्ञान : रमा शर्मा द्वारा हिंदी पुस्तक
पोषण एवं स्वास्थ्य विज्ञान पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : इस भी भोजन का उद्देश्य कुछ अनिवार्य तत्वों को ग्रहण करना होता है। वह अलग बात है कि व्यक्ति आहार में क्या ग्रहण करता है। उदाहरण के लिए कुछ व्यक्ति शाक-सब्जि, आटा, चावल तथा दान अधिक खाते हैं तथा कुड व्यक्ति मांस, मछली, अय आदि खाते हैं। प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि भोज्य सामग्री कुछ हो सकती है, उससे आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करना होता है। ये तो आर के पोषक तत्व कहे जाते हैं। इन्हें खासा प्राप्त किया जा सकता है। शरीर के लिये मुख्य रूप से छः तत्र अनिवार्य होते हैं। 1. प्रोटीन 2. कार्बोहाइडेट्स, 5. सा. खनिज लवण, 5. विटामिन, 6 जल हमारे आहार में इन सभी तत्वों का सही अनुपात में शामिल होना अनिवार्य है। पर्याप्त अथवा सन्तुलित आहार का अर्थ-यह आहार जिसके द्वारा शरीर की आधार सम्बन्धी समस्त आवश्यकतायें पूरी हो जाये। वह आधार ही व्यक्ति के लिए स्याप्त आहार है। पर्याप्त आहार अपने आप में सतुति जहार होता है। अब प्रश्न यह उठता है कि शरीर को आहार की आवश्यकता क्यों जीर किसलिये होती है। वास्तव में शरीर की वृद्धि, तन्तुओं के निर्माण एवं टूट-फूट की मरम्मत शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने हेतु तथा रोगों से बचने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में जो भोजन या आहार इन समस् को सन्तुलित रूप में करता रहे, यह आहार की सन्तुलित आहार पर्याप्त आहारता है। पर्याप्त आहार में आहार के पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में एवं
अनुपात में होने चाहिये।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | पोषण एवं स्वास्थ्य विज्ञान | Poshan Avam Swasthya Vigyan |
| Category | शिक्षा / Educational Hindi Books Health Book in Hindi Science Book in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 280 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“आप प्रत्येक ऐसे अनुभव जिसमें आपको वस्तुत डर सामने दिखाई देता है, से बल, साहस तथा विश्वास अर्जित करते हैं। आपको ऐसे कार्य अवश्य करने चाहिए जिनके बारे में आप सोचते हैं कि आप उनको नहीं कर सकते हैं।” – एलेनोर रुज़वेल्ट
“You gain strength, courage, and confidence by every experience in which you really stop to look fear in the face. You must do the thing which you think you cannot do.” – Eleanor Roosevelt
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