शहतूत : मनोज कुमार पांडे | Shahatoot : By Manoj Kumar Pandey Hindi Book
शहतुत पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : इधर बहुत दिनों बाद गाँव लौटा हूँ। मेरे लिए गाँव आने का मतलब है अपने बचपन में लौटना। बचपन, जहाँ अम्मा हैं, बाबू हैं, दीदी हैं, घर के बगल की गड़ही है, गड़ही में बेहया की हरी-भरी झाड़ी, झाड़ी किनारे डंडा लिये खड़ी आजी और उनके सामने थर- थर काँपता हुआ मैं। बचपन की सारी छवियाँ एक तरफ, और आजी की यह छवि दूसरी तरफ, आजी की यह छवि सब छवियों पर भारी पड़ती है।
कितना अच्छा लगता है जब कहीं किसी लेखक की स्वीकृति पढ़ता हूँ कि मैंने तो कहानी कहना अपनी दादी से सीखा। मैंने तो कहानी कहना अपनी नानी से सीखा। काश! मैं भी ऐसा कह सकता, पर मेरे बचपन में कहानियाँ थीं ही कहाँ, वहाँ तो कहानियों की जगह आजी के डंडे थे। बात-बात पर हमारी पीठ पर बरसते हुए। आज जब मैं आपसे अपनी बात कहने बैठा हूँ तो सोचता हूँ पहले इन डंडों के ऋण से ही मुक्त हो लूँ, नहीं तो न जाने कब तक यह मुझे परेशान करते रहेंगे।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | शहतूत | Shahatoot |
| Author | Manoj Pandey |
| Category | कहानी संग्रह / Story Collections Entertainment Book in Hindi PDF Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 128 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“मित्रता कभी भी अवसर नहीं अपितु हमेशा एक मधुर उत्तरदायित्व होती है।” ‐ कैहलिल गिब्रान
“Friendship is always a sweet responsibility; never an opportunity.” ‐ Kahlil Gibran
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