सिद्धपीठ सिलहट : रमाकांत पांडे द्वारा हिंदी पुस्तक | Siddhapeet Silhat : By Ramakant Pandey Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | सिद्धपीठ सिलहट | Siddhapeet Silhat |
Author | रमाकांत पांडे / Ramakant Pandey |
Category | मनोरंजन / Entertainment, कहानी / Story, कहानी संग्रह / Story Collections, Kahani Sangrah |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 148 |
Quality | Good |
Download Status | Not for Download |
सिद्धपीठ सिलहट पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : सत्य और सनातन के समतल पर सुखपूर्वक बैठकर व्यक्ति चातुर्यपूर्ण से, अतीत का विस्मरण कर भविष्य की चिन्ता छोड़ वर्तमान को यातुबद्ध कर स्वयं और समाज के अभ्युत्थान हेतु संकल्प रहकर मात्र के हितार्थ समर्पि व आज की भौतिकता के आखेट बन कर रह जाते हैं। वे जिस कोटि के समाज की कल्पना कराओं से जूझते रहते हैं, समाज से उनकी पटरी नहीं खाती, लोग ऐसे व्यक्तियों से कहते हैं, दूर रहना चाहते हैं। आज का युग स्वार्थ को जिन संकीर्ण पगों को स्वयं का पथ मान कर चल रहा है, उनसे विव विनाश के अतिरिक्त और होना भी क्या है, किन्तु उसे समझाना शायद अभ किसी के वश का रहा ही नहीं, किन्तु हमारे गाँव के एक ऐसे ही महानुभाव है बसन्तकुमार त्रिवेदी कुमार जी ने समाज विषय लेकर एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्नप्राथमिक विद्यालय के स.अ. के पद पर प्रोक्त हो गये। महामहिम राज्यपाल महोदय उत्तर प्रदेश सरकार ने आपको सम्मानित कर सन् 1991-92 1000 रुपये से पुरस्कृत किय ही दो वर्ष का समय उनके सेवाकाल में जोड़ दिया। आपकी मान्यता है कि यदि मानव जातिर्थ सेवी हो सके तो अहं की विस्तीर्ण कथा में वह प्रविष्ट हो सकता हैं। वसतकुमार त्रिवेदी की धर्मपत्नी है श्रीमती फूलमती देवी।
“अपेक्षा ही मनोव्यथा का मूल है।” ‐ विलियम शेक्सपियर
“Expectation is the root of all heartache.” ‐ William Shakespeare
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