Tarak Mantra PDF Book | तारक मंत्र पीडीएफ पुस्तक
He man! Nishank aur nirbhay ho ja, kyunki prachand Swami (Bhagwan) ki shakti tere saath hai. (Tarak Mantra PDF Book) Unka smaran hi asambhav ko sambhav kar deta hai. Jahan Swami ke charan hote hain, wahan koi kami nahi rehti. Bhakt ki prarabdh (karm) ko bhi yah maya swayam banati hai. Swami ki aagya ke bina na samay kisi ko le jata hai aur na mrityu. Parlok mein bhi unke bhakt ko koi bhay nahi hota. Vyarth mein dar mat, bhay ko door kar de. Swami ki shakti tere sameep hai, use pehchan. Is sansar mein janm aur mrityu keval unke liye khel hain. Dar mat, tu to unke putr jaisa hai. Saccha bhakt ban, shraddha ke saath. Swamibhakti ke bina tu kaise saccha bhakt ban sakta hai? Unhone kai baar apna haath tujhe thamaya hai. Dagmaga mat, Swami tujhe saath denge. Vibhuti, naman, naamjap, dhyan aur teerth – ye sabhi Swami ke panch pranaamrit hain. Is teerth ka smaran kar, use anubhav kar. Swami jinka haath pakadte hain, unhe kabhi nahi chhodte.
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Tarak Mantra PDF Book Description
तारक मंत्र का संछिप्त विवरण : हे मन! निःशंक और निर्भय हो जा, क्योंकि प्रचंड स्वामी (भगवान) की शक्ति तेरे साथ है। उनका स्मरण ही असंभव को संभव कर देता है। जहां स्वामी के चरण होते हैं, वहां कोई कमी नहीं रहती। भक्त की प्रारब्ध (कर्म) को भी यह माया स्वयं बनाती है। स्वामी की आज्ञा के बिना न समय किसी को ले जाता है और न मृत्यु। परलोक में भी उनके भक्त को कोई भय नहीं होता। व्यर्थ में डर मत, भय को दूर कर दे। स्वामी की शक्ति तेरे समीप है, उसे पहचान। इस संसार में जन्म और मृत्यु केवल उनके लिए खेल हैं। डर मत, तू तो उनके पुत्र जैसा है। सच्चा भक्त बन, श्रद्धा के साथ। स्वामीभक्ति के बिना तू कैसे सच्चा भक्त बन सकता है? उन्होंने कई बार अपना हाथ तुझे थमाया है। डगमगा मत, स्वामी तुझे साथ देंगे। विभूति, नमन, नामजप, ध्यान और तीर्थ – ये सभी स्वामी के पंच प्राणामृत हैं। इस तीर्थ का स्मरण कर, उसे अनुभव कर। स्वामी जिनका हाथ पकड़ते हैं, उन्हें कभी नहीं छोड़ते।
निःशंक हो निर्भय हो मना रे। प्रचंड स्वामीबळ पाठीशी रे।।
अतर्क्स अवधूत हे स्मरणगामी। अशक्यही शक्य करतील स्वामी।। (१)
जिथे स्वामिपाय तिथे न्यून काय। स्वये भक्त-प्रारब्ध घडवी हि माय।।
आज्ञेविणा ना काळ ना नेई त्याला। परलोकीही ना भीती त्याला।। (२)
उगाच भितोसी भय हैं पळू दे। जवळी उभी स्वामीशक्ती कळू दे।।
जगी जन्ममृत्यू असे खेळ ज्यांचा। नको घाबरू। तू असे बाळ त्यांचा।। (३)
खरा होई जागा। श्रद्धेसहीत। कसा होशी त्याविन तू स्वामीभक्त।।
कितीदा दिला बोल त्यांनीच हात। नको डगमगू। स्वामी देतील साथ।। (४)
विभूती नमन नाम ध्यानादी तीर्थ। स्वामीच या पंच प्राणामृतात।।
हे तीर्थ घे आठवी रे प्रचीति। न सोडी कदा स्वामी ज्या घेई हाती।। (५)
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | Tarak Mantra PDF Book | तारक मंत्र पीडीएफ पुस्तक |
| Category | Religious Books in Hindi PDF Meditation Book in Hindi PDF Spiritual PDF Book in Hindi Tantra Mantra Book in Hindi PDF |
| Language | संस्कृत / Sanskrit, हिंदी / Hindi |
| Pages | 1 |
| Quality | Good |
| Size | 45.1 KB |
| Download Status | Available |
“ऐसे कानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो।” ‐ इटली की कहावत
“Better no law than laws that are not enforced.” ‐ Italian proverb
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