अष्टावक्र गीता | Ashtavakra Gita
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | अष्टावक्र गीता | Ashtavakra Gita |
Author | Unknown |
Category | संस्कृति | Culture, गीता / Geeta, हिन्दू / Hinduism |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 180 |
Quality | Good |
Size | 54.3 MB |
Download Status | Available |
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अष्टावक्र गीता पुस्तक का कुछ अंश : एक समय में मिथिलाधीश राजा जनक के मन में पूर्व पुण्य के प्रभाव से इस प्रकार जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि असार संसार रूप के बंधन से किस प्रकार मुक्ति होगी फिर उन्होंने ऐसा भी विचार किया कि किसी जन्म ब्रह्मज्ञानी गुरु के समीप जाना चाहिए इसी अन्तर में उनको मानो ब्रह्मज्ञान के समुद्र परम दयालु श्री अष्टावक्र जी मिले। इनकी आकृति को देखकर राजा जनक के मन में यह अभिमान हुआ कि यह ब्राह्मण अत्यंत ही कुरूप है…..
“एक राष्ट्र की शक्ति उसकी आत्मनिर्भरता में है, दूसरों से उधार लेकर पर काम चलाने में नहीं।” ‐ इंदिरा गांधी
“A nation’s strength ultimately consists in what it can do on its own, and not in what it can borrow from others.” ‐ Indira Gandhi
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