रूठी रानी : मुंशी प्रेमचन्द द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Roothi Rani : by Munshi Premchand Hindi Audiobook

पुस्तक का विवरण / Book Details | |
AudioBook Name | रूठी रानी / Roothi Rani |
Author | Munshi Premchand |
Category | साहित्य / Literature, साहित्य / Literature, ऑडियोबुक्स / Audiobooks, उपन्यास / Novel |
Language | हिंदी / Hindi |
Duration | 1:38:45 hrs |
Source | Youtube |
Roothi Rani Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण : ‘रूठी रानी’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें राजाओं की वीरता और देशभक्ति को कलम के आदर्श सिपाही प्रेमचंद ने जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। उपन्यास में राजाओं की पारस्परिक फूट और ईर्ष्या के ऐसे सजीव चित्र प्रस्तुत किये गये हैं कि पाठक दंग रह जाता है। ‘रूठी रानी’ में बहुविवाह के कुपरिणामों, राजदरबार के षड्यंत्रों और उनसे होने वाले शक्तिह्रास के साथ-साथ राजपूती सामन्ती व्यवस्था के अन्तर्गत स्त्री की हीन दशा के सूक्ष्म चित्र हैं। प्रस्तुत कृति में प्रेमचन्द ने देश की स्वतन्त्रता के प्रेमियों का आह्ववान करते हुए कहा है कि साहस एवं शौर्य के साथ एकता और संगठन भी आवश्यक है।
शादी की तैयारी
उमादे जैसलमेर के रावल लोनकरन की बेटी थी जो सन् 1586 में राजगद्दी पर सुशोमित था। बेटी के पैदा होने से पहले तो दिल जरा टूटा मगर जब उसके सौन्दर्य की खबर आयी तो आंसू पूछ गए। थोड़े ही दिनों में उस लड़की के सौन्दर्य की घूम राजपूताने में मच गयी। सखियां सोचती थीं कि देखें यह युवती किस भाग्यवान को मिलती है। वे उसके आगे देश-देश के राजों-महाराजों के गुणों का बखान किया करतीं और उसके जी की थाह लेती लेकिन उमादे अपने सौन्दर्य के गर्व से किसी को खयाल में न लाती थी। उसे प्लिर्फ अपने बाहरी गुणों पर गर्व न था, अपने दिल की मजबूती, हौसले की बुलन्दी और उदासता में भी वह बेजोड़ थी। उसकी आदतें सारी दुनिया से निराली थीं। छुई-मुई की तरह जहां किसी ने उंगली दिखायी और यह कुम्हलाई। मां कहती-बेटी, पराये घर जाना है तुम्हारा निबाह क्योंकर होगा? बाप कहता-बेटा, छोटी-छोटी बातों पर बुरा नहीं मानना चाहिए। पर वह अपनी घुन में किसी की न सुनती थी। सबका जवाब उसके पास खामोशी थी कोई कितना ही भूकें, जब वह किसी बात पर अड़ जाती तो अड़ी ही रहती थी।
आखिर लड़की शादी करने के काबिल हुईं। रानी ने रावल से कहा- “बेखबर कैसे बैठे हो, लड़की सयानी हुई, उसके लिए वर ढूंढ़ो, बेटी के हाथों में मेंहदी रचाओ। ‘
रावल ने जवाब दिया- “जल्दी क्या है राजा लोगों में चर्चा हो रही है आजकल में शादी के पैगाम आया चाहते हैं। अगर मैं अपनी तरफ से किसी के पास पैगाम भेजूंगा तो उसका मिज़ाज आसमान पर चढ़ जाएगा।’
“निकम्मे लोग सिर्फ खाने पीने के लिए जीते हैं, लेकिन सार्थक जीवन वाले जीवित रहने के लिए ही खाते और पीते हैं।” ‐ सुकरात
“Worthless people live only to eat and drink; people of worth eat and drink only to live.” ‐ Socrates
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