Ajatasatru : By Jayshankar Prashad Hindi Book | अजातशत्रु : जयशंकर प्रसाद द्वारा हिंदी पुस्तक
पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : इतिहास में घटनाओं की प्रायः पुनरावृत्ति होते देखी जाती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उसमें कोई नयी घटना होती ही नहीं। किन्तु असाधारण नयी घटना भी भविष्यत् में फिर होने की आशा रखती है। मानव समाज की कल्पना का भण्डार अक्षय है, क्योंकि वह इच्छा-शक्ति का विकास है। इन कल्पनाओं का, इच्छाओं का मूल-सूत्र बहुत ही सूक्ष्म और अपरिस्फुट होता है। जब वह इच्छा-शक्ति किसी व्यक्ति या जाति में केन्द्रीभूत होकर अपना सफल या विकसित रूप धारण करती है, तभी इतिहास की सृष्टि होती है। विश्व में जब तक कल्पना इयत्ता को नहीं प्राप्त होती, तब तक वह रूप-परिवर्तन करती हुई, पुनरावृत्ति करती ही जाती है। समाज की अभिलाषा अनन्त स्रोतवाली है। पूर्व कल्पना के पूर्ण होते-होते एक नयी कल्पना उसका विरोध करने लगती है, और पूर्व कल्पना कुछ काल तक ठहर कर फिर होने के लिए अपना क्षेत्र प्रस्तुत करती है। इधर इतिहास का नवीन अध्याय खुलने लगता है। मानव-समाज के इतिहास का इसी प्रकार संकलन होता है।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | अजातशत्रु | Ajatasatru |
| Author | Jaishankar Prasad |
| Category | नाटक / Drama Hindi Books स्क्रीन प्ले / Screen Play Hindi Books History Book in Hindi Literature Book in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 120 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“लोग यह नहीं याद करते कि आप कितनी बार गिरे, बल्कि यह याद रखते है कि आप कितनी बार उठ खड़े हुए।” जो मेलोनि
“People will never define you for how many times you fall but how many times that you stand up.” Jo Malone
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