आकाश वानर की दाढ़ी : निवेदिता सुब्रमण्यम | Akash Vanar Ki Dadhi : By Nivedita Subramaniam Hindi Book
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आकाश वानर की दाढ़ी पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : बहुत दिन पहले दुनिया में आकाश वानर हुआ करते थे। उन वानरों को खुले आकाश में घूमना अच्छा लगता था और उन्हें बादल बहुत पसंद थे। उनकी आँखें पीले बुलबुलों की तरह थीं और उनके पूरे शरीर पर सुनहरे बाल थे जो ऊम्र के साथ साथ रूपहले होते जाते थे।
कुछ लोगों का कहना था कि वे आस पास उड़ती चिड़ियों को खाते थे, कुछ लोग कहते थे कि वे धूप और हवा पर जीते थे और कुछ लोगों ने तो आकाश वानरों को देखा ही नहीं था।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | आकाश वानर की दाढ़ी | Akash Vanar Ki Dadhi |
| Category | हास्य और व्यंग्य / Humour & Satire Hindi Books Comics Books in Hindi Hindi Children's Book PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 32 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“गुस्से से ज्ञान का प्रकाश बुझ जाता है।” आर. जी. इंगरसोल
“Anger blows out the candle of the mind.” R. G. Ingersoll
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