आश्रय : बेला मुखेर्जी | Asharya : By Bela Mukherjee Hindi Book
आश्रय पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : दिन के दो बजे आजकल धूप इतनी तेज हो जाती है कि बाहर निकलने को मन ही नहीं करता। अभी अप्रैल का दूसरा सप्ताह ही हुआ है और अभी से यह हाल है तो आगे मई-जून में क्या होगा? प्रोफेसर कुमार के माथे से पसीना चू रहा है। इस समय विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी की ठंडक में बैठ कुछ पढ़ते तो अच्छा लगता। मन प्रसन्न होता और शरीर भी शीतल रहता, पर हरिभाई को कौन समझाये? खाना खाने घर नहीं आए तो वो भी भूखे बैठे रहेंगे। दो-एक बार नहीं आए हैं तो उन्होंने ऐसा ही किया है, तब बड़ा दुःख हुआ, मन में अपराधबोध का बोझ लेकर दो दिन तक अशान्त-से रहे। अब किसी कारण नहीं आना हो या लंच की व्यवस्था हो तो बार-बार कह कर समझाकर जाते हैं तब जाकर हरिभाई दोपहर का खाना खा लेते हैं, वो भी खाते है या नहीं खाते, कौन जाने? कहते तो हैं कि खा लिया। हरिभाई के लिए ही रोज घर खाना खाने आना पड़ता हैं और भाप छोड़ता गरम खाना परोसते समय हरिभाई के मुख पर जो तृप्ति और आत्मसुख उभरकर आता है, उसे देख आने-जाने की जो झंझट उठाते हैं वो खीझ एकदम समाप्त हो जाती है पर स्कूटर पर इतनी धूप और गर्मी में आने-जाने में कष्ट तो होता ही है आज पहली बार उनके मन में आया कि एक गाड़ी खरीद ही लें, कम से कम सिर के ऊपर लगने वाली खुली धूप या वर्षा की बूंदों से तो बचेंगे। वैसे हरिभाई ने दो-चार बार गाड़ी लेने को कहा भी था, पर उन्होंने ही हर बार अनसुना कर दिया।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | आश्रय | Asharya |
| Author | Bela Mukherjee |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 140 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“अपने को संभालने के लिए अपने मस्तिष्क का प्रयोग करें; दूसरों के साथ व्यवहार करने में अपने दिल का प्रयोग करें।” ‐ डोनाल्ड लेयर्ड
“To handle yourself, use your head; to handle others, use your heart.” ‐ Donald Laird
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