बेताल पचीसी : श्रीप्रसाद | Betal Pachisi : By Sriprasad Hindi Book
बेताल पचीसी पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : भारतीय लोक-जीवन में किस्सागोई की परम्परा काफी पुरानी है। लगभग उतनी ही पुरानी जितनी मानव सभ्यता के नागरिक विकास की कहानी है। नागरिक सभ्यता के विकास के बाद मनुष्यों में नैतिक-योग एवं जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए ही किस्सागोई के माध्यम से नैतिक शिक्षा से सम्बन्धित कहानियों के वाचन की परम्परा विकसित हुई होगी।
‘बेताल पचीसी’ भी उसी विरल किस्सागोई का अन्यतम उदाहरण है। ये कहानियाँ न सिर्फ मनोरंजक, रोचक और रोमांचक हैं बल्कि एक तरह की नैतिक शिक्षा भी प्रदान करती है। खासकर किशोर उम्र के पाठकों के “मन में नैतिकता और नागरिक मूल्य-बोध के विकास में ये कहानियाँ बेहद सफल हैं और उनके स्वस्थ मनोरंजन का साधन भी डॉ. श्रीप्रसाद ने इन कहानियों को बेहद रोचक भाषा और प्रवाह में प्रस्तुत किया है। ऐसे दौर में जबकि टी.वी. चैनलों की अश्लीलता अपने चरम पर है, आशा की जानी चाहिए कि ये कहानियों किशोर पाठकों का स्वस्थ मनोरंजन करेंगी और उन्हें नैतिक जीवन-मूल्यों की तरफ अग्रसर होने को प्रेरित भी।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | बेताल पचीसी | Betal Pachisi |
| Author | Shri Prasad |
| Category | Novel Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 104 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“चिंता के समान शरीर का नाश करने वाला और कुछ नहीं है, सो जिसे भी ईश्वर में जरा भी विश्वास हो उसे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं।” महात्मा गांधी
“There is nothing that wastes the body like worry, and one who has any faith in God should be ashamed to worry about anything whatsoever.” Mahatma Gandhi
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