Bhagya Se Sreshtha Buddhi : By Dr. Harisingh Pal Hindi Book | भाग्य से श्रेष्ठ बुद्धि : डॉ. हरिसिंह पाल द्वारा हिंदी पुस्तक
PDF डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया गया है
भाग्य से श्रेष्ठ बुद्धि पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : विश्व साहित्य में लोक कथाओं का सदैव से ऊँचा स्थान रहा है विश्व के प्रत्येक समाज में लोक कथाएँ समान रूप से सुनी और सुनाई जाती रही है। आधुनिक प्रौद्योगिकी के युग में आज भी बच्चे लोक कथाएँ बड़ी रूचि के साथ सुनते है और पढ़ते है तथा कार्टूनों के माध्यम से टी.वी. पर देखते है। लोक कथाओं का आकर्षण आज तक बरबकरार है। संभवतः भविष्य में भी यह बना रहेगा। भले ही उसके प्रस्तुतीकरण का रूप बदल जाय।
पंचतंत्र में कहा गया है-" जब तक व्यक्ति पुरूषार्थ नहीं करता, उसे बढ़ाई नहीं मिलती।" लोककथा अथवा किस्से कहानियों का उद्देश्य हमेशा से व्यक्ति को (मानव समुदाय) पुरूषार्थी बनाना और उसके मन में जिजीविषा (जीवन की आस्था ) उत्पन्न करना और उसे बनाए रखना है। प्रकृति से सामंजस्य बनाए रखने के संघर्ष से भाषा ने जन्म लिया और इस पुरुषार्थ को आगे बढ़ाने तथा श्रम के बोझ को हल्का करने के लिए मानव समाज ने किस्से कहानियों (लोक कथाओं) की रचना की।
वस्तुतः लोक कथाओं का जन्म उस समय हुआ जब आधुनिक ज्ञान और विज्ञान तथा संगठित समाज का जन्म नहीं हुआ था। उस कालखंड का मानव, बादल की गर्जना सुनता, आसमान में चमकती कड़कती बिजली देखता तथा वर्षा, सर्दी, गर्मी का बदलता मौसम भी देखता। पृथ्वी का वक्ष चीरकर बाहर निकलती वनस्पति, पेड़ पौधों को देखता और उन पर पुष्प एवं फल लगते देखता, पर इन सब का वह कारण नहीं समझ पाता। जैसे-जैसे उसकी बुद्धि का विकास होता गया, वह प्रकृति के इन रहस्यों को जानने का प्रयास करने लगा। इस उधेड़बुन में और सीमित बुद्धि के अनुसार उसने जो कुछ सोचा, वहीं उसकी कहानियों का
आधार बन गया।
“For more Hindi novels in PDF format, click the link!”
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | भाग्य से श्रेष्ठ बुद्धि | Bhagya Se Sreshtha Buddhi |
| Author | Dr. Hari Singh Pal |
| Category | Literature Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 160 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“यदि आप बार बार नहीं गिर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप कुछ नया नहीं कर रहे हैं।” ‐ वुडी एलन
“If you’re not failing every now and again, it’s a sign you’re not doing anything very innovative.” ‐ Woody Allen
हमारे टेलीग्राम चैनल से यहाँ क्लिक करके जुड़ें












