ढाई बीघा जमीन : मृदुला सिन्हा | Dhai Bigha Zameen : By Mridula Sinha Hindi Book
ढाई बीघा जमीन पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : फिर आज बाद मारकर किसी के रोने का करुण स्वर सुखिया की झुग्गी से ढाढ़ मेरे फ्लैट तक पहुँच ही गया। मैंने अपनी बालकनी से बगल की बालकनी में खड़ी पड़ोसन की ओर प्रश्न उछाला, “अब क्या हुआ ?” प्रतिदिन चारों पहर झुग्गी से रोने-हँसने की आवाज आती ही रहती है। दरअसल हमारे अपार्टमेंट के फ्लैटों से ऐसी कोई भी आवाज झुग्गी तक क्या अपने पड़ोस के फ्लैटों तक भी नहीं पहुँचती थी। यहाँ रूदन और हँसी नितांत व्यक्तिगत ही होती है। कभी-कभी तो एक परिवार के बीच भी नहीं बँटती दुःख और सुख का आदान-प्रदान नहीं होता। एक स्थान पर जमा रहने के कारण गहराई तक जाता है। घाव कर देता है, पर ये झुग्गियाँ हमें आज भी सामाजिक प्राणी होने का एहसास कराती हैं, जहाँ दुःख और सुख सामूहिक होता है, व्यक्तिगत नहीं।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | ढाई बीघा जमीन | Dhai Bigha Zameen |
| Author | Mridula Sinha |
| Category | कहानी संग्रह / Story Collections Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Sociology Book in Hindi Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 168 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“आप अपने जीवन काल के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन आप इसे मूल्यवान बनाने के लिए कुछ अवश्य ही कर सकते हैं।” ‐ इवान ईसार
“You can’t do anything about the length of your life, but you can do something about its width and depth.” ‐ Evan Esar
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