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दुसरी शूरुआत : सुमति सकसेना लाल | Dusri Shuruat : By Sumati Saksena Lal Hindi Book

दुसरी शूरुआत : सुमति सकसेना लाल | Dusri Shuruat : By Sumati Saksena Lal Hindi Book
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दुसरी शूरुआत पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : सुमति सक्सेना लाल हिंदी की जानी-पहचानी लेखिका हैं। सन् 1965 में लखनऊ विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम.ए करने के बाद वहीं के एक महाविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। सन् 1968 में धर्मयुग में पहली कहानी छपी। उसके बाद छपने का सिलसिला धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका आदि में कुछ सालों तक चलता रहा। फिर लंबी खामोशी। इधर सन् 2005 से फिर से नियमित लिखना और छपना शुरू हुआ है। बीच के इन वर्षों में बस एक कहानी 1981 में दूसरी शुरुआत लिखी जो साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपी थी। पहला कहानी संग्रह अलग अलग दीवारें हाल ही में छपा है। होने से न होने तक शीर्षक से एक उपन्यास अभी अप्रकाशित आपके कहे मुताबिक आपके छियासठ साल के लंबे जीवन का ‘पाना खोना’ यही है-थोड़ा सा लेखन और व्यर्थ चला गया बहुत सा समय।

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name दुसरी शूरुआत | Dusri Shuruat
Author
CategoryLiterature Book in Hindi Motivational Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF
Language
Pages 184
Quality Good
Download Status Not for Download
“कुछ लोग जिसे ग़लती से जीवन स्तर की बढ़ती कीमतें समझ बैठते हैं, वह वास्तव में बढ़ चढ़ कर जीने की कीमत होती है।” ‐ डग लारसन
“What some people mistake for the high cost of living is really the cost of living high.” ‐ Doug Larson

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