Paro : By Namita Gokhle Hindi Book | पारो : नमिता गोखले द्वारा हिंदी पुस्तक
पारो पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : हरी आंखों वाली लंबी, सेक्सी, बेहद सूफियाना और ‘जिन’ की शौकीन थी पारो आकर्षक और बिंदास, तेज़-तर्रार और एकदम भावुक, एक जुनून के नशे में सर से पैर तक डूबी ऐसी औरत, जो सख्त जान आदमी को भी पिघला देती थी और दूसरी औरतों को हीन भावना में डुबो देती थी।
पारो ही थी, जो दिल्ली और बम्बई की हाई सोसाइटी की धड़कन थी और जहां पहुंच जाती थी, अपनी समूची पर्सनेलिटी के साथ छा जाती थी। उसकी ज़िंदगी की
हादसों से भरी बेबाक कहानी है यह, जिसे प्रिया ने अपनी डायरी की शक्ल में लिखा और जैसे ही यह बात खुलकर सामने आई, दो सामानान्तर जिंदगियों में भूचाल आ गया। यहीं पर पारो का ज़बरदस्त विस्फोट और प्रिया का सुरेश से अलगाव बेहद मार्मिक घटनाएं हैं।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | Paro | पारो |
| Author | Namita Gokhle |
| Category | Literature Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 196 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“ईश्वर मूर्तियों में नहीं, आपकी भावनाओं में है और आत्मा आपका मंदिर है।” चाणक्य
“God is not present in idols. Your feelings are your God. The soul is your temple.” Chanakya
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