सोई माटी जाग : मेजर रतन जांगिड | Soyi Mati Jaag : By Major Ratan Jangid Hindi Book
सोई माटी जाग पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : उसके हाथों से राखी नीचे गिर पड़ी। वह जमीन पर बैठ गई और दहाड़े मारकर रोने लगी जैसे उसका माँ जाया भाई छोड़कर गया हो। मैं भी उसका रुदन सुनता रहा। यह कैसा रिश्ता है दो देशों का एक इंसान सीमाएँ तोड़ने की कोशिश करता है और एक यह है जिसे पागल समझते हैं, वह सीमाएँ जोड़ रही है। दो देशों को राखी से बाँधने आई है।
● फिर जमाने में भी तो बदलाव आ गया है। नयी पीढ़ी अपने हिसाब से जीना चाहती है। पश्चिमी सभ्यता का रंग उस पर चढ़ चुका है। बीस-पच्चीस सालों के बाद सबके साथ यही तो होने वाला है। वही एकाकी जीवन बेटे कहाँ और बेटियाँ कहाँ। औपचारिक रिश्ता रह जाएगा। यही तो खतरा है इस वैश्वीकरण, उपभोक्तावाद और भूमंडलीकरण का।
• ये ही वे गरीब मजदूर हैं जो खाली पेट काम पर जाते हैं और वह भी मात्र चालीस रुपये में यानि कि पूरे दिन यह भी हो सकता हैं कि अगले दस सालों में अस्सी रुपये और अगले पचास सालों में हो सकता है हजार रुपये प्रतिदिन पा लें लेकिन उस वक्त एक रोटी का दाम भी सौ रुपये से कम नहीं होगा।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | सोई माटी जाग | Soyi Mati Jaag |
| Author | मेजर रतन जांगिड / Major Ratan Jangid |
| Category | कहानी संग्रह / Story Collections Kahani Sangrah Book in Hindi PDF Story Book PDF in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 168 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“गुणवत्ता की कसौटी बनें। कई लोग ऐसे वातावरण के अभ्यस्त नहीं होते जहां उत्कृष्टता अपेक्षित होती है।” ‐ स्टीव जॉब्स
“Be a yardstick of quality. Some people aren’t used to an environment where excellence is expected.” ‐ Steve Jobs
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