Tisri Tali : By Pradip Saurabh Hindi Book | तिसरी ताली : प्रदीप सौरभ द्वारा हिंदी पुस्तक
तिसरी ताली पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : यह उभयलिंगी सामाजिक दुनिया के बीच और बरक्स हिजड़ों, लौंडों, लौंडेबाजों, लेस्बियनों और विकृत-प्रकृति की ऐसी दुनिया है जो हर शहर में मौजूद है और समाज के हाशिए पर जिन्दगी जीती रहती है। अलीगढ़ से लेकर आरा, बलिया, छपरा, देवरिया यानी ‘एबीसीडी’ तक, दिल्ली से लेकर पूरे भारत में फैली यह दुनिया समान्तर जीवन जीती है। प्रदीप सौरभ ने इस दुनिया के उस तहखाने में झाँका है, जिसका अस्तित्व सब मानते’ तो हैं लेकिन ‘जानते नहीं।
समकालीन ‘बहुसांस्कृतिक’ दौर के ‘गे’, ‘लेस्बियन’, ‘ट्रांसजेंडर’ अप्राकृत-यीनात्मक जीवन शैलियों के सीमित सांस्कृतिक स्वीकार में भी यह दुनिया अप्रिय, अकाम्य, अवांछित और वर्जित दुनिया है। यहाँ जितने चरित्र आते हैं वे सब नपुंसकत्व या परलिंगी वा अप्राकृत यौन वाले ही हैं। परिवार परित्यक्त, समाज वहिष्कृत-दंडित ये ‘जन’ भी किसी तरह जीते हैं। असामान्य लिंगी होने के साथ ही समाज के हाशियों पर धकेल दिये गये, इनकी सबसे बड़ी समस्या आजीविका है जो इन्हें अन्ततः इनके समुदायों में ले जाती है। इनका वर्जित लिंगी होने का अकेलापन ऐक्स्ट्रा’ है और वही इनकी जिन्दगी का निर्णायक तत्त्व है। अकेले-अकेले बहिष्कृत ये किन्नर आर्थिक रूप से भी हाशिये पर डाल दिये जाते हैं। कल्चरल तरीके से ‘फिक्स’ दिए जाते हैं।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | Tisri Tali | तिसरी ताली |
| Author | प्रदीप सौरभ / Pradeep Saurabh |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 204 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“प्रतिभा का विकास शांत वातावरण में होता है, और चरित्र का विकास मानव जीवन के तेज प्रवाह में।” जोहेन वोल्फगैंग वॉन गोएथ, कवि, नाटककार, उपन्यासकार और दार्शनिक (1749-1832)
“Talent develops in tranquillity, character in the full current of human life.” Johann Wolfgang von Goethe, poet, dramatist, novelist, and philosopher (1749-1832)
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