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सन्त साहित्य की लौकिक पृष्ठभूमि | Sant Sahitya Ki Laukik Prashthbhumi

सन्त साहित्य की लौकिक पृष्ठभूमि | Sant Sahitya Ki Laukik Prashthbhumi
पुस्तक का विवरण / Book Details
Book Name सन्त साहित्य की लौकिक पृष्ठभूमि | Sant Sahitya Ki Laukik Prashthbhumi
Author
Category, ,
Language
Pages 398
Quality Good
Size 50 MB
Download Status Available

सभी मित्र हस्तमैथुन के ऊपर इस जरूरी विडियो को देखे, ज्यादा से ज्यादा ग्रुप में शेयर करें| भगवान नाम जप की शक्ति को पहचान कर उसे अपने जीवन का जरुरी हिस्सा बनाये|

सन्त साहित्य की लौकिक पृष्ठभूमि पुस्तक का कुछ अंश : श्रामारिणिक संस्करण बहुत कम उपलब्ध हैं । वैसे भी लोक में प्रचलित रहने तथा सम्म्प्रदायिक परम्पराओं द्वारा सुरक्षित रखे जांने के कारण सन्त-साहित्य के रूप को निश्चित कर पाना तथा उसका निश्चित रचना-काल निर्धारित कर पाना आसान नहीं है । इसके साथ ही, इस काव्य में लोक-जीवन से सम्बद्ध जो सामग्री-सन्दर्भ प्राप्त होते हैं, वे जीवन के इन पक्षों की रूपरेखा प्रस्तुत करने में तो सहायता करते हैं, पर इनके आधार पर पक्षों के ऐसे सूक्ष्म और विविध रूपों का विवेचन करना सम्भव नहीं हो सका है? जिससे इस लम्बे काल के विविध युगों की परिवर्तित मनोवृत्ति पर प्रकाश पड़ना सम्भव हो सका…………

“मैंने पाया है कि सुख लगभग हर बार कठोर श्रम की प्रतिक्रिया ही होता है।” – डेविड ग्रेसन
“Happiness, I have discovered, is nearly always a rebound from hard work.” – David Grayson

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