पीताम्बरा : भगवती शरण मिश्रा | Pitambra : By Bhagwati Sharan Mishra Hindi Book
पुस्तक के कुछ अंश : मीरा के जीवन पर आधारित लेखक द्वारा अपनी विशिष्ट शैली में रचित एक अत्यन्त रोचक एवं प्रामाणिक उपन्यास जो आधुनिक जीवन-बोध के संदर्भ में भी इस संत कवयित्री की प्रासंगिकता को गहराई से रेखांकित करता है।
लेखक के अनुसार मीरा मात्र श्री कृष्णोपासिका नहीं थी अपितु वह एक निर्भीक समाज सुधारिका भी थी जिसने आज से प्रायः पांच सौ वर्ष पूर्व ही नारी जागरण का प्रथम शंखनाद किया था।
सती-प्रथा के सदृश सड़ी-गली सामाजिक कुरीतियों को दृढ़ता से नकारनेवाली कृष्णप्रिया मीरा विश्व की उन कुछेक नारियों में है जो काल की शिला पर अपने अमिट हस्ताक्षर छोड़ जाने में सफल हुई है।
इस ऐतिहासिक औपन्यासिक कृति में मीरा सम्बन्धी विविध भ्रान्तियों को सफलतापूर्वक निरस्त कर तथा उसके जीवन से जुड़े चमत्कारों को विश्वसनीय रूप में रखने का प्रयास कर लेखक ने मीरा के व्यक्तित्व और कृतित्व को आधुनिक पाठकों के अत्याधिक समीप लाने का स्तुत्य प्रयास किया है।
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | पीताम्बरा | Pitambra |
| Author | Bhagwati Sharan Mishra |
| Category | संस्कृति | Culture Hindi Books |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 636 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“श्रेष्ठ व्यक्ति बोलने में संयमी होता है लेकिन अपने कार्यों में अग्रणी होता है।” ‐ कंफ्यूशियस
“The superior man is modest in his speech, but exceeds in his actions.” ‐ Confucius
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