बबूल और कैक्टस : रामदरस मिश्रा द्वारा हिंदी पुस्तक | Babool Aur Cactus : By Ramdarash Mishra Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | बबूल और कैक्टस | Babool Aur Cactus |
Author | Ramdarash Mishra |
Category | साहित्य / Literature |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 184 |
Quality | Good |
Download Status | Not for Download |
पुस्तक के कुछ अंश
रामदरश मिश्र के निबंध एक मिश्रित भाव छोड़ते हैं। इनमें गोपनीय को प्रकट करने वाली सोत्साह उत्कटता भी है तो तमाम चीज़ों पर एक व्यक्ति की हिकारत भरी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का भाव भी। इनमें एक ओर गाँव है-अतीत में बसा तो ठीक उसके समानान्तर शहर में छटपटाता एक बुद्धिजीवी। बुनियादी तौर पर ये निबंध कथात्मक टिप्पणियां हैं। इनमें लेखक ने कविता का उपयोग तो किया ही है-लोकचित्त को उद्घाटित कर ‘लोकरस’ का माधुर्य भी दिया है। कविता की रम्यधारा प्रकृति के विवरणों और त्रास को उभारने में सक्षम है। पर इन विवरणों के ‘भाषिक गुण’ कोई भाषाविद् ही रेखांकित कर सकता है या कोई वैयाकरण एक भाव-संसक्त भाषा को किसी नये विधान के रूप में रेखांकित भी कर सकता है। एक सामान्य पाठक के लिए ये निबंध हमारे वास्तव की ईमानदार सूचनाएं हैं।
“मैं कभी प्रसिद्धि नहीं पाना चाहता था। मैं हमेशा महान बनना चाहता था।” – रे चार्ल्स, अमरीकी पियानोवादक और गायक
“I never wanted to be famous. I only wanted to be great.” – Ray Charles, American pianist and singer
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