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देवांगना : आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Devangana : by Acharya Chatursen Shastri Hindi Audiobook

देवांगना : आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा हिंदी ऑडियो बुक | Devangana : by Acharya Chatursen Shastri Hindi Audiobook
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Devangana Hindi Audiobook का संक्षिप्त विवरण :  देवांगना (आस्था और प्रेम का धार्मिक कट्टरता और घृणा पर विजय का एक रोचक उपन्यास) ‘देवांगना’ उपन्यास बारहवीं शताब्दी के अन्तिम चरण की घटनाओं पर आधारित है। इस समय विक्रमशिला-उदन्तपुरी-वज्रासन और नालन्दा विश्वविद्यालय वज्रायन और सहजयान सम्प्रदायों के केन्द्र स्थली हो रहे थे तथा उनके प्रभाव से भारतीय हिन्दू-शैव-शाक्त भी वाममार्ग में फँस रहे थे। इस प्रकार धर्म के नाम पर अधर्म और नीति के नाम पर अनीति का ही बोलबाला था। इस उपन्यास में उसी काल की पूर्वी भारतीय जीवन की कथा उपस्थित है। यह उपन्यास एक बौद्ध भिक्षु दिवोदास के विद्रोह की कहानी है जो धर्म के नाम पर होने वाले दुराचारों के खिलाफ खड़ा हो जाता है। उसे पागल कहकर, कारागार में डाल दिया जाता है। वह देवदासी और सेवक के माध्यम से धर्म के नाम पर होने वाले अत्याचारों का भंडाफोड़ करता है।

लेखक के बारे में

आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त 1891 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास चंदोख नामक गाँव में हुआ था। सिकंदराबाद में स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने संस्कृत कालेज, जयपुर में दाखिला लिया और वहीं उन्होंने 1915 में आयुर्वेद में ‘आयुर्वेदाचार्य’ और संस्कृत में ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की। आयुर्वेदाचार्य की एक अन्य उपाधि उन्होंने अपुर्वेद विद्यापीठ से भी प्राप्त की। फिर 1917 में लाहौर में डी.ए.वी. कॉलेज में आयुर्वेद के वरिष्ठ प्रोफेसर बने। उसके बाद वे दिल्ली में बस गए और आयुर्वेद चिकित्सा की अपनी डिस्पेंसरी खोली। 1918 में उनकी पहली पुस्तक हृदय की परख प्रकाशित हुई और उसके बाद पुस्तकें लिखने का सिलसिला बराबर चलता रहा। अपने जीवन में उन्होंने अनेक ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यास, कहानियों की रचना करने के साथ आयुर्वेद पर आधारित स्वास्थ्य और यौन संबंधी कई पुस्तकें लिखीं। 2 फरवरी, 1960 में 58 वर्ष की उम्र में बहुविध प्रतिभा के धनी लेखक का देहांत हो गया, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों में बहुत लोकप्रिय हैं। आचार्य चतुरसेन जी साहित्य की किसी एक विशिष्ट विधा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने किशोरावस्था में कहानी और गीतिकाव्य लिखना शुरू किया, बाद में उनका साहित्य-क्षितिज फैला और वे जीवनी, संस्मरण, इतिहास, उपन्यास, नाटक तथा धार्मिक विषयों पर लिखने लगे। शास्त्री जी साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक कुशल चिकित्सक भी थे। वैद्य होने पर भी उनकी साहित्य-सर्जन में गहरी रुचि थी। उन्होंने राजनीति, धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास और युगबोध जैसे विभिन्न विषयों पर लिखा। ‘वैशाली की नगरवधू’, ‘वयं रक्षाम’ और ‘सोमनाथ’, ‘गोली’, ‘सोना और खून’ (तीन खंड), ‘रक्त की प्यास’, ‘हृदय की प्यास’, ‘अमर अभिलाषा’, ‘नरमेघ’, ‘अपराजिता’, ‘धर्मपुत्र’ सबसे ज्यादा चर्चित कृतियाँ हैं।

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पुस्तक का विवरण / Book Details
AudioBook Name देवांगना / Devangana
Author
CategoryHindi Audiobooks Novel Book in Hindi PDF
Language
Duration 3:31 hrs
Source Youtube
“कोई आज छाया में इसलिए बैठा हुआ है क्योंकि किसी ने काफी समय पहले एक पौधा लगाया था।” ‐ वारेन बुफेट
“Someone’s sitting in the shade today because someone planted a tree a long time ago.” ‐ Warren Buffett

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