फ्रीज़ मे औरत : मुशर्रफ आलम ज़ौक़ी द्वारा हिंदी पुस्तक | Frij Main Aurat : By Musharraf Alam Zauqi Hindi Book
पुस्तक का विवरण / Book Details | |
Book Name | फ्रीज़ मे औरत | Frij Main Aurat |
Author | मुशर्रफ आलम ज़ौक़ी / Musharraf Alam Zauqi |
Category | मनोरंजन / Entertainment, कहानी / Story, कहानी संग्रह / Story Collections, Kahani Sangrah |
Language | हिंदी / Hindi |
Pages | 142 |
Quality | Good |
Download Status | Not for Download |
फ्रीज़ मे औरत पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : जेनी को कुत्ते और बिल्ली पसन्द नहीं थे वह जब भी इन्हें देखती, नफरत से मुँह सिकोड़ लेती रास्ता चलते किसी जानवर पर उसकी नज़र पड़ जाती तो उसका अच्छा-खासा मूड खराब हो जाता। घर आकर वह काफी हंगामा मचाती।
हैं ?” “डियर ये लोग जानवरों को घर में बाँधकर क्यों नहीं रखते। खुला छोड़ देते “पता नहीं।” “नहीं, तुम्हें सब पता है तुम मर्द अच्छी तरह जानते हो भद्र और शिष्ट महिलाएँ इस तरह खुलेआम जानवरों के घूमने को पसन्द नहीं करतीं तुम्हारा जी चाहे, तो तुम औरतों का सड़कों पर घूमना ही बन्द करा दो।” जेनी इसके बाद भी लगातार बोलती रहती। एक बार मूड उखड़ गया तो उखड़ गया। जज्बाती औरत उसे जेनी की नाराजगी पर कभी क्रोध नहीं आया। वह जानता था गुस्सैल औरत के यहाँ जज्बात की गर्मी होती है। वह जज्बात भीतर सँभालकर नहीं रखती, बल्कि सब कुछ सामने वाले पर किसी सच्चे और ईमानदार व्यक्ति की तरह उड़ेल देती है…।
“स्वत्व (आत्म तत्व) कोई बनी बनाई वस्तु नहीं होती है, कर्म के चयन के परिणाम स्वरूप इसका निरन्तर निर्माण करना पड़ता है।” ‐ जॉन ड्यूई
“The self is not something ready-made but something in continuous formation through choice of action.” ‐ John Dewey
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