मरी मछलियो का तालाब : तपन त्रिपाठी | Mari Machalio Ka Talab : By Tapan Tripathi Hindi Book
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मरी मछलियो का तालाब पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : “चंदा सूरज के मैं, पईयाँ परत हों, तिरिया जनम झन दे हो सुअना हो…. तिरिया जनम झन दे।”
चम्पा, बुधियारिन, रामबाई, बेनवती के साथ और भी पाँच छ औरतें गोल घेरा-सा बनाकर,
घेरे के बीच में एक चरिया के काठ के बने तोते को रखकर गाते हुए नाच रही है। अपने इस लोक गीत के माध्यम से न जाने कितनी सारी समस्याओं का निदान एक साथ मांग रही हैं, उस तोते से, काठ के तोते से।
त्यौहार के दस पन्द्रह दिन पूर्व से ही सुआ गीत गाने का क्रम चालू हो जाता है। हर घर के आँगन में आकर सुआ गीत गाना, उन्हें आशीष देना व जहाँ से जितना मिल जाए चन्दा उगाहना ।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | मरी मछलियो का तालाब | Mari Machalio Ka Talab |
| Author | तपन त्रिपाठी / Tapan Tripathi |
| Category | Fiction Book in Hindi PDF Motivational Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 68 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“आपकी मर्जी के बिना कोई भी आपको तुच्छ होने का अहसास नहीं करवा सकता है।” ‐ एलेयनोर रूज़वेल्ट
“No one can make you feel inferior without your consent.” ‐ Eleanor Roosevelt
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