मिले सुर मेरा तुम्हारा : मनमोहन सहगल | Mile Sur Mera Tumhara : By Manmohan Sahgal Hindi Book
मिले सुर मेरा तुम्हारा पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : ‘वर्तमान’ सानस्याओं का पर्याय होता है। अतीत और भविष्य की समस्याएँ मनुष्य को कभी नहीं करते, किन्तु वर्तमान को समस्याओं से जूझता हुआ वह स्वयं अतीत हो जाता है, दूसरों को सुनहला भविष्य प्रदान करने के अनवरत प्रयासों में !
देश का एक ऐसा राज्य जिसका वर्तमान सहज समस्यात्मक हो गया है। कभी आतंकवाद के साए में जीने के लिए विवश कभी विदेशी धन-दौलत और रंगीनी पाने की लालसा! कभी कन्या भ्रूण हत्या के कारण लड़के-लड़कियों के अनुपात में असन्तुलन, तो कभी नशाखोरी में सॉलिप्त पंजाबी युवकों में बढ़ता आलस्य! परिणामतः उत्तर प्रदेश, बिहार से श्रमिकों का आयात और धीरे-धीरे उनके अम और पुरुषार्थ के सामने पंजाबियों की अधीनता परन्तु क्या यह स्थिति लज्जास्पद है? बड़ी प्रश्नाकुलता हमारे संविधान में प्रत्येक भारतीय को भारत में कई भी गाकर कमाने रहने-जीने का पूरा अधिकार है। प्रत्यासी अनिकों का पंजाब में आना रथा पंजाबी जन-जीवन में उनका समा जाना अन्योन्याश्रित कारणों की देन है। यह कोई आँखें नीची होने अपना झंडे गाड़ने की प्रस्तावना नहीं आत्म-विस्तार की कथा है। दो संस्कृतियों का सुमेल पंजाब की रंगीनी को दबाता कर रहा है, दो सुरो का मेल है, जो भारतीयता के सम्यक् सर को स्थापित कर रहा है।
अधिकांश समस्याओं का समधान नारी सशक्तिकरण से सम्भव हो सकता है। प्रत्येक समस्या किसी न किसी कोष से स्त्री-विमर्श को स्पर्श करती है और हमने उन्हीं कोणों से होते हुए माननीय समस्याओं के साथ जूझने की शक्ति बटोरी है।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | मिले सुर मेरा तुम्हारा | Mile Sur Mera Tumhara |
| Author | Manmohan Sahgal |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 224 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“कुछ लोग जिसे ग़लती से जीवन स्तर की बढ़ती कीमतें समझ बैठते हैं, वह वास्तव में बढ़ चढ़ कर जीने की कीमत होती है।” – डग लारसन
“What some people mistake for the high cost of living is really the cost of living high.” – Doug Larson
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