मेरा बचपन मेरे कंधो पर : श्यौराज सिंह | Mera Bachapan Mere Kandhon Par : By Shyauraj Singh Hindi Book
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मेरा बचपन मेरे कंधो पर पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : डॉ. श्योराज सिंह जी, आपकी आत्मकथा का अंश ‘यहाँ एक मोची रहता था’ मैंने पढ़ लिया है। दर्द ही दर्द है, कष्ट ही कष्ट है। मुझे लगा है, आपके साथ गालिब वाली बात घट गई है। उस महाकवि की गजल का एक शे’र है- रंज से खूंगर हुआ इंसा तो मिट जाता है रंज मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गई।
यह शेर आपकी आत्मकथा पर पूरी तरह फबता है। मेरे खयाल से, बचपन की सहजात शक्ति आप आज बड़े स्तर पर सुरक्षित और सैंजो कर रखे हुए हो… वर्णन में आप अपनी शैली में रहे हो। आपकी शैली दूसरे लेखकों से अलग पहचान की है। यह शान्त और ज्यादा प्रभावकारी है…..
| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | मेरा बचपन मेरे कंधो पर | Mera Bachapan Mere Kandhon Par |
| Author | श्यौराज सिंह / Shyauraj Singh |
| Category | Biography Book in Hindi Fiction Book in Hindi PDF Motivational Book in Hindi |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 432 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“महान उपलब्धियां, लगातार की जाने वाली छोटी छोटी उपलब्धियों का कुल योग होती हैं।” ‐ क्रिस्टोफर मोरले
“Big shots are only little shots who keep shooting.” ‐ Christopher Morley
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