Nav Vidhan : By Sharatchandra Hindi Book | नव विधान : शरतचंद्र द्वारा हिंदी पुस्तक
नव विधान पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : इस कहानी के नायक श्रीयुत शैलेश्वर घोपाल की स्त्री का देहांत हो | जाने के बाद पुनः गृहस्थी बसाने की सूचना अगर मित्र-मंडली में न पहुँचती और उन्हें विशेष रूप से शर्म से संकुचित न होना पड़ता तो इस कहानी का रंग-रूप बदलकर कैसे क्या हो गया होता, इसका अंदाज लगाना कठिन है। इसलिए पहले ही से वह विवरण बतला देना आवश्यक है।
शैलेश्वर कलकत्ता के एक सुप्रसिद्ध कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक थे। उनके पास विलायती डिग्री है। आठ सौ रुपये मासिक वेतन, अवस्था बत्तीस वर्ष की थी। पाँच महीने हुए, नौ वर्ष का एक लड़का छोड़कर उनकी स्त्री इस संसार से सदा के लिए विदा हो चुकी है। कलकत्ता के पटलडोंगा नामक मुहल्ले में पैतृक भवन हैं। घर में एक लड़के के सिवा बेयरा, बावर्ची, सईस, कोचवान आदि कुल मिलाकर सात-आठ नौकर थे। एक प्रकार से ये नौकर-चाकर ही इनके घर के सदस्य थे।
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | नव विधान | Nav Vidhan |
| Author | Sharatchandra Chattopadhyay |
| Category | Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 88 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें। अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे।” ‐ बुद्ध
“To keep the body in good health is a duty… otherwise we shall not be able to keep our mind strong and clear.” ‐ Buddha
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