Shalbhanjika : By Manisha Kulshrestha Hindi Book | शालभंजिका : मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा हिंदी पुस्तक
शालभंजिका पुस्तक पीडीएफ के कुछ अंश : जैन और बौद्धकालीन स्थापत्य व मूर्तिकला में ‘शालभंजिका’ मन्दिर के तोरण द्वारों पर द्वारपालिका की तरह उकेरी जाती रही है। शालवृक्ष की फूलों भरी डाली पकड़े, उद्दाम ऐन्द्रिकता लिये यह स्त्री की प्रस्तर प्रतिमा दरअसल अपने भीतर के अनछुए कोष्ठ प्रकोष्ठों की भी स्वयं रक्षिका प्रतीत होती है। यह पूर्णतः सम्भव है कि उस मूर्तिकार (जिसने पहले पहल शालभंजिका को गढ़ा होगा) ने भी वही बेचैनी महसूस की हो, अतीत में विलुप्त किसी स्त्री की स्मृति में जो बेचैनी इस उपन्यास का नायक, फिल्मकार चेतन महसूस करता रहा है और अपनी कला के माध्यम से अन्त में बसी पद्मा की छवियों को वह फिल्म में डाल देना चाहता है। कलाकार पर बीतते और कला के माध्यम से रीतते इसी नॉस्टेल्जिया की कहानी है शालभंजिका
हर मनुष्य वाध्य है कि वह जीवन के इस वृहत नाटक में अस्थायी तौर पर बाहर भीतर से स्वयं को रूपान्तरित कर ले, हालांकि इस रूपान्तरण के दौरान उसका अपने अस्तित्व की भीतरी वलयों से साक्षात्कार एक चमत्कार की तरह घटता है यही नियति है और यही निर्वाण है
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| पुस्तक का विवरण / Book Details | |
| Book Name | शालभंजिका | Shalbhanjika |
| Author | मनीषा कुलश्रेष्ठ / Manisha Kulshresth |
| Category | Literature Book in Hindi Novel Book in Hindi PDF |
| Language | हिंदी / Hindi |
| Pages | 104 |
| Quality | Good |
| Download Status | Not for Download |
“जब तक हम दूसरों के बारे में नहीं सोचते और उनके लिए कुछ नहीं करते हैं, तब तक हम खुशियों के सबसे बड़े स्रोत को गंवाते रहते हैं।” – रे लाइमन विलबुर
“Unless we think of others and do something for them, we miss one of the greatest sources of happiness.” -Ray Lyman Wilbur
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